Bihar Chunav: कई उम्मीदवारों के नामांकन हुए रद्द, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह और कानूनी प्रक्रिया?

Bihar chunav nomination cancelled: चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, एक बार नामांकन खारिज होने के बाद उसे तुरंत बहाल नहीं किया जा सकता.

Published by Shubahm Srivastava

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कई उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं. चुनाव आयोग की जाँच में उनके दस्तावेज़ों में गंभीर त्रुटियाँ और उल्लंघन सामने आए हैं. इनमें प्रमुख नाम मोहनिया सीट से महागठबंधन की श्वेता सुमन, सुपौल से राजद विधायक शशि भूषण सिंह और मढ़ौरा सीट से लोजपा (आर) उम्मीदवार सीमा सिंह के हैं.

नामांकन रद्द होने के मुख्य कारण

चुनाव आयोग के अनुसार, नामांकन रद्द होने के कई प्रमुख कारण हो सकते हैं. इनमें किसी कारणवश उम्मीदवार को अयोग्य घोषित किया जाना, नामांकन पत्र या आवश्यक दस्तावेज़ समय पर जमा न करना, नामांकन किसी और द्वारा जमा किया जाना, उम्मीदवार और प्रस्तावक के हस्ताक्षरों में अंतर, प्रस्तावकों की अपर्याप्त संख्या, या उम्मीदवार का उस श्रेणी से संबंधित न होना जिसके लिए सीट आरक्षित है, शामिल हैं.

इसके अलावा, यदि प्रस्तावक उस निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता नहीं है, हलफनामे में कॉलम खाली छोड़े गए हैं, या उम्मीदवार उस निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता नहीं है, तो भी नामांकन रद्द किया जा सकता है.

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नामांकन रद्द होने के बाद क्या हो सकती है उम्‍मीदवारी बहाल?

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, एक बार नामांकन खारिज होने के बाद उसे तुरंत बहाल नहीं किया जा सकता. हालाँकि, उम्मीदवार के पास दो कानूनी विकल्प हैं—एक पुनर्विचार याचिका और एक न्यायिक अपील. पुनर्विचार याचिका चुनाव आयोग के समक्ष दायर की जा सकती है, जिसमें उम्मीदवार यह साबित करने का प्रयास करता है कि नामांकन रद्द करने की प्रक्रिया में कोई त्रुटि हुई है. यदि आयोग इसे मामूली त्रुटि मानता है, तो निर्णय की समीक्षा की जा सकती है. दूसरा विकल्प उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करना है, हालाँकि यह प्रक्रिया लंबी है और चुनाव कार्यक्रम को प्रभावित नहीं करती है.

सीमा सिंह को छोटी सी गलती पड़ी भारी

चुनाव अधिकारियों के अनुसार, तकनीकी या छोटी-मोटी त्रुटियों की स्थिति में सुधार का अवसर दिया जाता है, लेकिन यदि उम्मीदवार समय पर संशोधित दस्तावेज़ जमा नहीं करता है, तो नामांकन रद्द कर दिया जाता है. लोजपा (आर) उम्मीदवार सीमा सिंह को भी त्रुटि सुधारने का अवसर मिला था, लेकिन उन्होंने समय पर संशोधित प्रपत्र जमा नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप उनका नामांकन रद्द कर दिया गया.

इस प्रकार, नामांकन प्रक्रिया में लापरवाही या देरी उम्मीदवारों को चुनावी दौड़ से अयोग्य घोषित कर सकती है, इसलिए उम्मीदवारों को अपने दस्तावेज़ों की सटीकता और समय सीमा का विशेष ध्यान रखना होगा.

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