Bihar politics: बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है. एनडीए गठबंधन में सीटों का बंटवारा भले तय हो गया हो, लेकिन भीतर की खामोश हलचल बहुत कुछ कह रही है. भाजपा और जेडीयू के बीच इस बार का समीकरण बराबरी पर है मगर क्या यह बराबरी सच में संतुलन लाएगी या अंदर ही अंदर एक नई खींचतान शुरू हो चुकी है? एनडीए की तस्वीर तो एकजुटता दिखा रही है, लेकिन चेहरों के पीछे कुछ अनकहा भी छिपा है. ख़बरें तो ये हैं कि नीतीश कुमार इस बराबरी के सीट बंटवारे से खुश नहीं हैं.
सीट बंटवारे का समीकरण और एनडीए की रणनीति
दरअसल, भाजपा और जेडीयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि चिराग पासवान की एलजेपी-रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली पार्टी को 29 सीटें मिली हैं. एनडीए के सभी नेताओं की एक तस्वीर जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि सीट बंटवारे में वे आगे चल रहे हैं. हालाँकि, स्थिति सामान्य नहीं दिख रही है. जेडीयू और भाजपा ने बिहार में चार विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़े हैं, लेकिन यह पहली बार है जब भाजपा ने जेडीयू द्वारा जीती गई सीटों की संख्या की बराबरी की है. अब तक, जेडीयू ने अधिक सीटें जीती थीं. भाजपा अपने 2020 के स्ट्राइक रेट को इसका कारण बता रही है, लेकिन जेडीयू के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है.
नीतीश कुमार की नाराजगी और उम्मीदवारों की सूची
अब, खबरें आ रही हैं कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ बराबर सीटों के बंटवारे से नाखुश हैं. इसके अलावा, उनकी नाराजगी एलजेपी(R) द्वारा 29 सीटों के आवंटन से उपजी है, जिसने पिछले चुनावों में जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे, जिससे नीतीश कुमार की पार्टी को झटका लगा था. लल्लन सिंह, उमेश कुशवाहा और बिजेंद्र यादव जैसे नेता सूची जारी होने से पहले ही नामांकन दाखिल कर चुके थे. उमेश कुशवाहा जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष हैं. जेडीयू अपने भरोसेमंद लोगों को सिंबल दे रही है.
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