Bihar Chunav 2025: बिहार में भूमिहार जिनको ‘भूमिहार ब्राह्मण’ या ‘अयाचक ब्राह्मण’ कहने वाली एक प्रमुख सवर्ण जाति है. भमिहार प्रमुख रूप से पूर्वी भारत के राज्य ‘बिहार और उत्तर प्रदेश’ के पूर्वांचल क्षेत्रों के मूल निवासी माने जाते हैं. ये लोग स्वयं को भगवान परशुराम का वंशज बताते हैं और अपनी पहचान भूमि के मालिक के रूप में रखते हैं, क्योंकि पारंपरिक ब्राह्मणों के विपरीत, भूमिहार दान और दक्षिणा पर जीवन यापन नहीं करते उल्टा ये ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते ही हैं. भूमिहारों ने जमींदारी और कृषि को अपनी आजीविका का प्रमुख साधन बनाया.
भूमिहार बहुल सीटों पर सियासी समीकरण
मुजफ्फरपुर, पटना पश्चिम, पश्चिम चंपारण, बेगुसराय, छपरा, मोकामा, सारण, मुंगेर, जमुई, शेखपुरा, भागलपुर, खगड़िया, बछवाड़ा, तेघड़ा, संदेश, आरा, जहानाबाद, तरैया, हरनौत, इस्लामपुर, जमालपुर, दरभंगा ग्रामीण, बेनीपट्टी और हायाघाट जैसी सीटें भूमिहार बहुल सीट हैं,जहां इनकी आबादी 20 प्रतिशत से अधिक या इसके करीब है. सीट बंटवारे में अब भूमिहार नेता दोनों ही गठबंधनों में ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं. 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और जदयू दोनों ने ही भूमिहार नेताओं को महत्वपूर्ण सीट दिए. उधर कांग्रेस और राजद ने भी ज्यादा से ज्यादा सीट दे कर समुदाय को साधने की कोशिश की.
नवरात्रों में जन सुराज के 243 उम्मीदवारों के नाम होंगे फाइनल, प्रशांत किशोर का बड़ा ऐलान
NDA और महागठबंधन दोनों ही भूमिहारों को अपने पाले में रखना चाहते हैं
बिहार की राजनीती में भूमिहार एक ऐसी जाती है जिनसे सभी जातिओं के नेताओं को वोट दिया हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग जातीय गठबंधन बनाए हैं. यह जाती साधारणतः एक जुट होकर वोट नहीं करती लेकिन पिछले कुछ चुनावों में भूमिहारों का एकजुट होकर मतदान करना भी देखने को मिला है.यही कारन है की दोनों ही गठबंधन इस जाती विशेष को अपने पक्ष में रखना चाहते हैं.
भूमिहार जाती से आने वाले कुछ दिग्गज नेता
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, देवेश चंद्र ठाकुर, अनंत सिंह , ललन सिंह, विजय कुमार शुक्ला उर्फ़ मुन्ना शुक्ला, पूर्व मंत्री अजित कुमार, पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा और कांग्रेस के युवा नेता कन्हैया कुमार भी इसी जाती विशेष से आते हैं.