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सीट बंटवारे से NDA ने Tejashwi को दी राहत! देरी के बावजूद मिला सियासी सुकून

Bihar Chunav: तेजस्वी यादव को यह राहत मुकेश सहनी के रूप में मिली है. दरअसल महागठबंधन में मुकेश सहनी लगातार दबाव बना रहे हैं कि उन्हें ज्यादा सीटें मिलें. महागठबंधन की सरकार बनने पर वह डिप्टी सीएम बनेंगे ये दावा कर रहें है.

By: Mohammad Nematullah | Published: October 13, 2025 3:56:21 PM IST



Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए ने सीट के बंटवारे में बढ़त बना ली है. रविवार को भाजपा, जदयू और चिराग पासवान की पार्टी के बीच सीट के बंटवारे पर सहमति बन गई और घोषणा की गई कि कौन कितनी सीट पर चुनाव लड़ेगा. इस समझौते के तहत भाजपा और जदयू बराबर-बराबर होंगे और 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. इसके अलावा लोजपा-रामविलास पासवान पार्टी (लोजपा) को भी 29 सीटें मिली हैं, जो एक बड़ी संख्या है. एनडीए की रणनीति सीटों के बंटवारे में बढ़त हासिल करने चुनावी माहौल को बदलने और प्रचार अभियान में तेजी लाने की है. हालांकि इस प्रयास से महागठबंधन को भी एक बड़ी राहत मिली है.

 तेजस्वी के लिए क्या है राहत?

यह राहत मुकेश सहनी के रूप में मिली है. मुकेश सहनी लगातार महागठबंधन पर ज़्यादा सीट के लिए दबाव बना रहे हैं. इसके अलावा उनकी मांग है कि राजद चुनाव से पहले यह घोषणा करे कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो वह उपमुख्यमंत्री बनेंगे. तेजस्वी यादव इस बात से सहमत नहीं दिख रहे हैं. मुकेश सहनी ने हाल ही में मीडिया से बातचीत में कहा था कि उनकी पार्टी चाहे 14 सीटें जीते या 44, उन्हें ही उपमुख्यमंत्री बनना चाहिए. उनका कहना है कि उनका समुदाय अब उन्हें उप-मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहता है.

मुकेश सहनी ने क्या कहा?

अब जब एनडीए ने सीट बंटवारे की घोषणा कर दी है, तो महागठबंधन में राहत की लहर है. ऐसा इसलिए क्योंकि मुकेश सहनी के लिए पाला बदलना मुश्किल होगा. राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है लेकिन सीट बंटवारे की घोषणा के बाद एनडीए के साथ उनका तालमेल थोड़ा मुश्किल हो गया है. तेजस्वी यादव और कांग्रेस को थोड़ी राहत मिली है और मुकेश सहनी के दबाव से निपटने में उन्हें और मज़बूती महसूस हो सकती है. गौरतलब है कि बिहार चुनाव में पहली बार भाजपा और जदयू बराबर-बराबर सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा ने सीट बंटवारे की घोषणा पहले की और ज़्यादा सीटें हासिल की. यह भगवा खेमे की बढ़ती ताकत का संकेत है.

2020 में जदयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और 43 सीटें जीतीं. इसके अलावा भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 सीटें जीतीं. लोक जनशक्ति पार्टी ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ़ एक सीट जीती. इसी स्ट्राइक रेट को देखते हुए माना जा रहा है कि भाजपा ने इस बार बराबर सीटें हासिल की. इसके अलावा लोजपा को मिली सीट पर भाजपा से जुड़े लोग उसके चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ सकते है. फिलहाल एनडीए खेमा ज़्यादा व्यवस्थित दिख रहा है. लेकिन मुकेश सहनी की दबाव की रणनीति में कमी से महागठबंधन भी राहत महसूस कर रहा है.

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