Bihar Election 2025: चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का एलान कर दिया है. चुनाव आयोग के एलान के अनुसार, बिहार में दो चरणों में मतदान होंगे. पहले चरण में 6 नवंबर और दूसरे चरण में 11 नवंबर को वोटिंग होंगी. वहीँ, नतीजों का एलान 14 नवंबर को होगा.
राज्य में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद, तकरीबन 7.43 करोड़ वोटर नई सरकार का चुनाव करेंगे. इनमें 3.92 करोड़ पुरुष और 3.5 करोड़ महिला मतदाता शामिल हैं. इसके अलावा, 14 लाख से ज़्यादा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे.
चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ, आइए एनडीए, महागठबंधन और जन सुराज की खूबियों और कमज़ोरियों पर एक नज़र डालते हैं:
एनडीए की मजबूती
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकारों की जन कल्याणकारी योजनाएँ.
- राजद शासन से असंतुष्ट मतदाताओं का सर्वसम्मत समर्थन
- अगले पाँच वर्षों में एक करोड़ युवाओं को नौकरी और रोज़गार देने की घोषणा
- मुफ़्त बिजली, महिलाओं के रोज़गार के लिए 10,000 रुपये और सामाजिक सुरक्षा पेंशन
एनडीए की कमज़ोरियाँ
- नौकरशाही के ख़िलाफ़ जनता का गुस्सा
- मंत्रियों और नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप
- कार्यकर्ताओं की उपेक्षा
- मौजूदा विधायकों के प्रति गुस्सा
- पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान विधायकों द्वारा की गई घोषणाओं का क्रियान्वयन न होना
महागठबंधन की मजबूती
- मुस्लिम-यादव समीकरण के कारण लगभग 30 प्रतिशत वोट की गारंटी
- राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा के कारण कांग्रेस की बढ़ी सक्रियता
- तेजस्वी यादव के प्रति युवाओं का आकर्षण
- नीतीश सरकार की कई योजनाओं का श्रेय लेने की कोशिश
- महागठबंधन दलों में एकता
महागठबंधन की कमज़ोरियाँ
- टिकट वितरण में यादवों को तरजीह, मुसलमानों की उपेक्षा
- कमज़ोर सदस्यों का पार्टी से अलगाव शक्तिशाली समर्थकों के कारण
- बिना टिकट वाले समर्थकों के बागी बनकर चुनाव लड़ने का खतरा
- तेजस्वी परिवार में कलह, तेजप्रताप का अलग पार्टी बनाना
- उम्मीदवारों के चयन में सहयोगियों की भावनाओं का ध्यान न रखना
जनसुराज पार्टी की ताकत
- संस्थापक प्रशांत किशोर की सटीक रणनीति
- अपने नएपन के कारण युवाओं और व्यवस्था से मोहभंग हुए लोगों का समर्थन
- ग्रामीण क्षेत्रों में पदयात्रा के कारण बुनियादी समस्याओं की समझ
- कुछ अच्छे उम्मीदवारों को अन्य दलों द्वारा टिकट न दिए जाने की संभावना
- भ्रष्टाचार एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बना
जनसुराज पार्टी की कमज़ोरी
- अनुभवी प्रचारकों की कमी
- तुरंत लाभ चाहने वाले समर्थकों की बड़ी संख्या
- टिकट वितरण के बाद असंतोष का खतरा
- पार्टी पर उच्च जाति-केंद्रित होने का आरोप
- पीके पर किसी अन्य पार्टी के लिए काम करने का आरोप