Job Cuts in India: भारत बहुत ही गहरे संकट की तरफ बढ़ रहा है और वो कुछ और नहीं बल्कि नौकरियों की कमी है. जानकारी के अनुसार, भारत मध्यम वर्ग की नौकरियों के संकट को गहराता हुआ देख रहा है, जिसकी वजह मंदी नहीं बल्कि ऑटोमेशन, एआई और वैश्विक व्यापार की प्रतिकूल परिस्थितियों से प्रेरित है. मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने इसको लेकर चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर नीति निर्माता तुरंत कार्रवाई नहीं करते हैं, तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं.
सौरभ मुखर्जी ने क्या कहा? (What did Saurabh Mukherjee say?)
हाल ही में एक पॉडकास्ट में मुखर्जी ने भारत के व्हाइट-कॉलर जॉब मार्केट में चल रहे उथल-पुथल की एक स्पष्ट तस्वीर पेश की. उन्होंने कहा कि हम जॉब मार्केट में भारी उथल-पुथल देख रहे हैं. आईटी, बैंकिंग और मीडिया जैसे मानक मध्यम वर्ग की नौकरियों की जगह गिग जॉब्स का इकोसिस्टम ले लेगा. उनका अनुमान है कि भारत को इस पूरे प्रभाव को झेलने में दो से तीन साल लगेंगे, इस दौरान वेतनभोगी नौकरियों का एक बड़ा हिस्सा गायब हो सकता है. आगे उन्होंने गंभीर चेतावनी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि भारत एक विशाल गिग इकोनॉमी बन जाएगा. यह केवल राइडशेयर और फूड डिलीवरी गिग नहीं होगा. हमारे सभी रिश्तेदार गिग इकोनॉमी का हिस्सा होंगे.
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उन्होंने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि यह संकट आर्थिक मंदी का नतीजा नहीं है. बल्कि यह उन कंपनियों द्वारा संचालित हो रहा है जो लागत कम करने और दक्षता बढ़ाने के लिए एआई को अपना रही हैं. मुखर्जी ने कहा कि हम देख सकते हैं कि हर कंपनी इंसानों की जगह एआई ले रही है. चाहे वो हमारे पोर्टफोलियो में शामिल बैंक हों, जिन मीडिया हाउस से हम बात करते हैं, या चीन के पोर्टफोलियो में शामिल आईटी सेवा कंपनियां.
इसके अलावा, यहां तक देखा जा रहा है कि जो विज्ञापन हो रहे हैं वो भी कृत्रिम यानी आर्टिफिशियल होते जा रहे हैं. इसको लेकर उन्होंने दलील दी कि विज्ञापन में दिखाई गई मॉडल भी एआई है. वह कोई असली महिला नहीं है. वह एक एआई मॉडल है. विज्ञापन में तोता भी असली नहीं है. वह एक एआई तोता है.
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