New Income Tax Bill:नया विधेयक आम लोगों के लिए कर प्रक्रिया को सरल बनाने पर केंद्रित है। कर वर्ष की नई व्यवस्था से भ्रम की स्थिति समाप्त होगी, टीडीएस दावों की समय सीमा छह वर्ष से घटाकर दो वर्ष कर दी गई है और शून्य कर देयता वाले लोग ‘शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र’ प्राप्त कर सकेंगे। सरकार का कहना है कि इन बदलावों से पारदर्शिता बढ़ेगी और विवाद कम होंगे। राज्यसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक अब कानून का रूप ले लेगा।
आईटीआर देर से दाखिल करने वालों को राहत
सरकार ने नए आयकर विधेयक-2025 के संशोधित संस्करण में बड़ा बदलाव करते हुए आयकर रिटर्न (आईटीआर) देर से दाखिल करने वालों को राहत दी है। अब तक के नियमों के अनुसार, यदि कोई करदाता आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि से चूक जाता था, तो उसे रिफंड नहीं मिल पाता था। लेकिन नए विधेयक में पुराने प्रावधान को फिर से जोड़ा गया है, जिससे देर से आईटीआर दाखिल करने पर भी रिफंड प्राप्त किया जा सकेगा। यह कदम खासकर वेतनभोगी और छोटे कारोबारियों के लिए काफी मददगार साबित होगा।
कर वर्ष की नई व्यवस्था
टैक्सपेयर की परेशानियों को दूर करने के लिए विधेयक में ‘कर वर्ष’ की एक सरल व्यवस्था लागू की गई है। पहले लोग आईटीआर दाखिल करते समय ‘आकलन वर्ष’ और ‘वित्तीय वर्ष’ के बीच भ्रमित होते थे। अब केवल उसी वर्ष को ‘कर वर्ष’ माना जाएगा जिसमें कर का भुगतान किया गया हो। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कर जमा किया है, तो उसे कर वर्ष मानकर रिटर्न दाखिल किया जाएगा।
सैलरीड एम्प्लॉई के लिए खुशखबरी
संशोधित विधेयक में सैलरीड एम्प्लॉई को कई प्रकार की छूट मिलेंगी। धारा 87A के तहत छूट की सीमा बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है, जिससे ₹12 लाख तक की आय वाले लोगों को कोई कर नहीं देना होगा। साथ ही, निजी पेंशन योजनाओं में एकमुश्त निकासी पर अब सरकारी कर्मचारियों की तरह कर छूट मिलेगी। केंद्र की एकीकृत पेंशन योजना (UPS) से जुड़े कर लाभ भी बरकरार रहेंगे।
घर के मालिकों के लिए भी कई सुधार
नए विधेयक में मकान या घर के मालिकों के लिए भी कई सुधार किए गए हैं। यदि कोई इमारत अस्थायी रूप से खाली है, तो उस पर ‘नॉटिकल रेंट टैक्स’ नहीं लगेगा। किराये की आय पर 30% मानक कटौती अब नगरपालिका कर की कटौती के बाद ही लागू होगी, जिससे कर बचत होगी। किराए पर दी गई संपत्ति के निर्माण-पूर्व ब्याज पर कटौती भी जारी रहेगी।
कंपनियों और धर्मार्थ संगठनों को लाभ
व्यापार जगत के लिए सबसे बड़ी राहत लाभांश पर कर को लेकर है। नए प्रावधान के अनुसार, अब एक ही लाभांश पर बार-बार कर नहीं लगेगा। गैर-लाभकारी संगठनों और धार्मिक ट्रस्टों द्वारा प्राप्त गुमनाम दान पर भी कर छूट जारी रहेगी। सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों (MSME) को स्पष्टता प्रदान करने के लिए, MSME अधिनियम-2006 के अनुसार उनकी परिभाषा तय की गई है।
आयकर विभाग को मिली ये पावर
यह विधेयक आयकर अधिकारियों को तलाशी और ज़ब्ती के मामलों में अधिक अधिकार प्रदान करता है। अब वे इमारतों में प्रवेश कर सकेंगे, ताले तोड़ सकेंगे और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ों की जाँच कर सकेंगे। हालाँकि, इन शक्तियों का उपयोग तभी किया जाएगा जब कोई व्यक्ति समन जारी होने के बावजूद आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं करता है।
1961 में बनाए गए कानून की जगह लेगा नया विधेयक
वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में बनाया गया था, जिसमें अब तक सैकड़ों संशोधन हो चुके हैं। नया विधेयक इसकी जगह लेगा और इसका आकार लगभग आधा होगा। पुराने कानून में 5.12 लाख शब्द और 819 धाराएँ थीं, जबकि नए विधेयक में केवल 2.6 लाख शब्द और 536 धाराएँ हैं। इसे बनाने में लोकसभा की प्रवर समिति की 285 सिफारिशों को पूरी तरह से शामिल किया गया है।

