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Money Save Rules: नहीं Save हो पा रहा है पैसा, तो आज ही खुलवा लें 3 अकाउंट, साल में तगड़ा पैसा होगा इकट्ठा

Tips To Save Money: आज-कल की मेंहगाई के चलते लोग पैसे कम ही जोड़ पाते हैं, किसी न किसी तरह उनके पैसे खर्च हो जाते हैं, लेकिन पैसे बचाने तो पड़ंगे . इसके लिए हम आपके लिए एक आसान तरीका लेकर आए हैं. आइए जानते हैं-

By: sanskritij jaipuria | Published: November 19, 2025 1:26:13 PM IST



How to Control Money: अधिकतर लोग अपने पैसे का मैनेजमेंट सिर्फ एक ही बैंक अकाउंट से करते हैं. सैलरी आती है, बिल भरते हैं, कुछ पैसे बचत में चले जाते हैं और बाकी खर्च हो जाते हैं. अक्सर हम अपने फाइनेंशियल गोल भूल जाते हैं. इसका आसान तरीका है: हर चीज के लिए अलग अकाउंट रखें. ऐसा करने से आपको हर चीज का आईडिया रहेगा की आपका कितना पैसा कहा जा रहा है और कितना पैसा आप आगे के लिए बचा पा रहे हैं.

 तीन अलग अकाउंट रखें

फाइनेंशियल एक्सपर्ट विजय माहेश्वरी कहते हैं कि अपने पैसे पर कंट्रोल पाने के लिए तीन अलग अकाउंट रखना अच्छा है. हर अकाउंट का अलग काम होना चाहिए:

1. स्थिरता के लिए (Savings Account)
2. बढ़ोतरी के लिए (Investment Account)
3. रोजमर्रा के खर्च के लिए (Expense Account)

ये तरीका आसान है और इसे फॉलो करना भी सरल है. इससे आप पैसे बचाने और निवेश करने की आदत भी बना सकते हैं.

बचत अकाउंट: Savings Account

ये आपका मेन अकाउंट है. इसमें आपकी सैलरी आती है.

इस अकाउंट का काम:

 इमरजेंसी में पैसे रखना.
 थोड़ा ज्यादा पैसा एफडी या बचत में रखना.
 बाकी पैसे इंवेस्टमेंट और खर्च के अकाउंट में भेजना.

इससे इमरजेंसी के पैसे गलती से खर्च नहीं होंगे. अच्छा बैंक चुनें, जिससे ब्याज भी बढ़िया मिले।

निवेश अकाउंट: Investment Account

ये अकाउंट सिर्फ पैसे बढ़ाने के लिए है.

इसमें आप कर सकते हैं:

 म्यूचुअल फंड में निवेश करना.
 दूसरे निवेश में पैसा डालना.
 अवसर निधि (Emergency Investment) रखना.

इस अकाउंट में रखा पैसा रोजमर्रा के खर्च के लिए नहीं है. ये लंबे समय में बढ़ने के लिए है.

खर्च अकाउंट: Expense Account

इस अकाउंट से आप अपना हर महीना का खर्च करें:

 किराया और EMI.
 राशन और दैनिक जरूरतें.
 परिवहन और कपड़े.

ये अकाउंट आपको बताता है कि आप कितना खर्च कर रहे हैं. जब खर्च बढ़ेगा, तो तुरंत पता चलेगा. इससे फालतू खर्च से बचा जा सकता है.

 तीन अकाउंट्स का फायदा

ये तरीका ऐसा है जैसे कोई कंपनी अपने पैसे अलग-अलग रखती है. इससे आप पैसे पर कंट्रोल रख सकते हैं और बिना सोच-विचार खर्च नहीं करेंगे.

 

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