कभी बेहतर करियर और लाइफस्टाइल की तलाश में लोग दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों की ओर रुख करते थे. लेकिन आज की तारीख में यही लोग इन शहरों की भीड़भाड़, प्रदूषण और आसमान छूती कीमतों से परेशान होकर टियर-2 शहरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. लखनऊ, जयपुर, सूरत, इंदौर जैसे शहर न केवल किफायती प्रॉपर्टी ऑप्शन दे रहे हैं, बल्कि एक संतुलित और बेहतर जीवनशैली का वादा भी कर रहे हैं.
टियर-2 शहरों में आज भी वो संभव है, जो मेट्रो शहरों में एक सपना बन चुका है एक बड़ा, आधुनिक और प्रीमियम घर. जहां मेट्रो शहरों में एक साधारण 2-BHK फ्लैट के लिए करोड़ों की जरूरत होती है, वहीं लखनऊ या जयपुर जैसे शहरों में ₹50-60 लाख में शानदार 2-BHK और ₹70-80 लाख में 3-BHK लग्जरी अपार्टमेंट मिल जाते हैं.
तेजी से बढ़ती प्रॉपर्टी वैल्यू और बेहतर रिटर्न
टियर-2 शहरों की प्रॉपर्टी वैल्यू में पिछले कुछ वर्षों में निरंतर और तीव्र वृद्धि देखी गई है. मैजिकब्रिक्स जैसी रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई टियर-2 शहरों में रियल एस्टेट की कीमतें दिल्ली जैसे शहरों से भी तेजी से बढ़ रही हैं. कम निवेश और ज्यादा रिटर्न की संभावना इन्हें रियल एस्टेट निवेशकों के लिए सुनहरा अवसर बना रही है.
तेजी से विकसित होता बुनियादी ढांचा
सरकार द्वारा चलाई जा रही स्मार्ट सिटी योजना, नए एयरपोर्ट, मेट्रो रेल और एक्सप्रेसवे जैसी परियोजनाएं टियर-2 शहरों को नया रूप दे रही हैं. कानपुर, सूरत, इंदौर और लखनऊ जैसे शहर अब सिर्फ सांस्कृतिक केंद्र नहीं, बल्कि उभरते आर्थिक हब भी बन रहे हैं, जहां आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं बड़ी तेजी से विकसित हो रही हैं.
टियर-2 शहर अब सिर्फ आवास का केंद्र नहीं, बल्कि रोजगार और उद्यमिता के भी नए गढ़ बन चुके हैं. आईटी कंपनियों की उपस्थिति, स्टार्टअप्स की ग्रोथ और स्थानीय उद्योगों के विस्तार ने रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए हैं. इससे ना सिर्फ लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है, बल्कि इन शहरों में रियल एस्टेट की मांग भी कई गुना तेज हुई है.
लाइफस्टाइल का नया केंद्र
जहां मेट्रो शहरों में जीवन भागदौड़ और तनाव से भरा होता है, वहीं टियर-2 शहरों में कम ट्रैफिक, कम प्रदूषण और शांत वातावरण लोगों को मानसिक सुकून देता है. रिमोट वर्क के बढ़ते चलन ने इस बदलाव को और अधिक बल दिया है. अब युवा प्रोफेशनल्स भी बड़े शहर छोड़कर ऐसे स्थानों पर स्थायी घर की तलाश कर रहे हैं जहां जीवन की गुणवत्ता बनी रहे.
टियर-2 शहरों में रहना मेट्रो शहरों की तुलना में 30-35% सस्ता है. यहां न केवल घर खरीदना किफायती है, बल्कि जीवन यापन की लागत भी कम है. नतीजतन, लोग बड़ी ईएमआई के बोझ से मुक्त होकर अधिक बचत कर पा रहे हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
प्रीमियम आवास की उपलब्धता
टियर-2 शहरों में भूमि की लागत अपेक्षाकृत कम होने के कारण डेवलपर्स यहां बड़े आकार के प्रीमियम फ्लैट्स विकसित कर रहे हैं. आधुनिक सुविधाओं से लैस क्लब हाउस, जिम, पार्किंग, स्विमिंग पूल और सिक्योरिटी जैसी सुविधाएं अब इन शहरों में आम होती जा रही हैं. जो बजट मेट्रो शहरों में 2-BHK के लिए पर्याप्त नहीं, वही टियर-2 शहरों में 3 या 4-BHK प्रीमियम अपार्टमेंट दिला सकता है.