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Explainer: ‘शैतान की धातु’ या ‘डेविल मेटल’ किसे कहा जाता है? जानें इससे जुड़ी हर एक जानकारी

Shaitan Ki Dhatu: चांदी को अक्सर इसकी अत्यधिक अस्थिरता (volatility) और कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण इसे डेविल मेटल कहा जाता है, जो निवेशकों के लिए बड़ा जोखिमा पैदा करता है. चांदी का 1980 का क्रैश (गिरावट) इसी अस्थिरता का सबसे बड़ा उदाहरण था, जो बाजार में हेरफेर की एक असफल कोशिश का परिणाम था.

By: Shivi Bajpai | Last Updated: December 14, 2025 10:02:13 AM IST



Shaitan Ki Dhatu: चांदी को अक्सर इसकी अत्यधिक अस्थिरता (volatility) और कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण इसे डेविल मेटल कहा जाता है, जो निवेशकों के लिए बड़ा जोखिमा पैदा करता है. चांदी का 1980 का क्रैश (गिरावट) इसी अस्थिरता का सबसे बड़ा उदाहरण था, जो बाजार में हेरफेर की एक असफल कोशिश का परिणाम था.

क्या सिल्वर सच में डेविल मेटलहै?

हां, कुछ विशेषज्ञों और बाजार विश्लेषकों द्वारा चांदी को ‘डेविल मेटल‘ कहा जाता है, लेकिन इसका कोई ऐतिहासिक या धार्मिक आधार नहीं है, बल्कि यह विशुद्ध रूप से वित्तीय बाजार से जुड़ा है.

अस्थिरता (Volatility): सोने की तुलना में चांदी के दाम में उतार-चढ़ाव बहुत अधिक होता है. जब कीमतें बढ़ती हैं, तो वे तेजी से बढ़ती हैं, और जब गिरती हैं, तो वे नाटकीय रूप से गिर सकती हैं. यह अनिश्चितता इसे एक “शैतानी” धातु का उपनाम देती है.

सट्टा (Speculation): चांदी का बाजार अक्सर बड़े सट्टेबाजों द्वारा प्रभावित होता है, जिससे छोटे निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ जाता है.

1980 का क्रैश: सबसे काला पल (‘Silver Thursday’)

1980 की घटना, जिसे “सिल्वर थर्सडे” (Silver Thursday) के नाम से जाना जाता है, चांदी के इतिहास का सबसे काला अध्याय था.

हंट ब्रदर्स की साजिश: नेल्सन बंकर हंट और विलियम हर्बर्ट हंट (Hunt Brothers) नामक दो अमेरिकी अरबपति भाइयों ने 1970 के दशक के अंत में दुनिया भर में निजी तौर पर उपलब्ध चांदी के लगभग एक-तिहाई हिस्से को खरीदकर बाजार पर कब्जा (corner the market) करने की कोशिश की.

कीमतों में उछाल: उनकी भारी खरीदारी और लीवरेज (उधार पैसे) के इस्तेमाल से चांदी की कीमत $6 प्रति औंस से बढ़कर जनवरी 1980 में रिकॉर्ड $50 प्रति औंस से अधिक हो गई.

बाजार का हस्तक्षेप और क्रैश: बाजार के इस हेरफेर को रोकने के लिए, कमोडिटी एक्सचेंज ने नए नियम लागू किए, जिसमें मार्जिन पर कमोडिटी खरीदने पर भारी प्रतिबंध शामिल थे. इससे हंट ब्रदर्स के लिए अपनी स्थिति बनाए रखना मुश्किल हो गया. 27 मार्च 1980 को, वे मार्जिन कॉल (ब्रोकर द्वारा मांगे गए अतिरिक्त धन) का भुगतान नहीं कर पाए, जिससे घबराहट में बिकवाली शुरू हो गई और एक ही दिन में कीमतें 50% से अधिक गिरकर लगभग $11 प्रति औंस पर आ गईं.

क्या मौजूदा तेज़ी का जश्न मनाना सही है?

भले ही चांदी की कीमतों में हाल ही में तेज़ उछाल देखने को मिला हो, लेकिन बिना सोचे-समझे जश्न मनाना समझदारी नहीं है. चांदी का बाजार स्वभाव से ही अस्थिर होता है और यह ज़रूरी नहीं कि मौजूदा बढ़त लंबे समय तक बनी रहे. अभी कीमतों में वृद्धि सरकारी नीतियों और औद्योगिक मांग के कारण है, लेकिन जैसे ही बाजार की धारणा बदलेगी, गिरावट भी आ सकती है.

निवेश से पहले समझने योग्य 5 अहम पहलू

यदि इन बातों पर ध्यान न दिया जाए, तो चांदी में निवेश फायदे की बजाय जुआ साबित हो सकता है:

औद्योगिक और निवेश मांग का संतुलन

चांदी केवल निवेश की धातु नहीं है, बल्कि इसका उपयोग सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उद्योगों में भी होता है. यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था सुस्त होती है, तो औद्योगिक मांग घट सकती है, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ता है.

उच्च अस्थिरता (Volatility)

सोने की तुलना में चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव कहीं अधिक होता है। छोटे निवेशकों के लिए यह अस्थिरता संभालना मुश्किल हो सकता है, जिससे नुकसान की संभावना बढ़ जाती है.

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सरकारी नीतियां और नियामकीय बदलाव

1980 की गिरावट यह दिखाती है कि जब बाजार में अत्यधिक सट्टेबाज़ी होती है, तो नियामक हस्तक्षेप कर सकते हैं। ऐसे नियमों में बदलाव निवेशकों को अचानक नुकसान पहुँचा सकते हैं.

लीवरेज का खतरा

उधार लेकर या मार्जिन पर निवेश करना बेहद जोखिम भरा है. हंट ब्रदर्स का उदाहरण बताता है कि कीमत में मामूली गिरावट भी पूरे निवेश को खत्म कर सकती है और गंभीर वित्तीय संकट पैदा कर सकती है.

भौतिक बनाम कागजी चांदी

भौतिक चांदी (सिक्के या बार) में भंडारण और सुरक्षा का खर्च होता है, जबकि कागजी चांदी (ETF, फ्यूचर्स) में नियमों, बाजार संरचना और काउंटरपार्टी जोखिमों का सामना करना पड़ता है.

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