HDFC Bank: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए देश के सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC बैंक पर 91 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. RBI ने यह जुर्माना कई रेगुलेटरी और कानूनी नियमों के उल्लंघन की वजह से लगाया है. RBI ने कहा कि नो योर कस्टमर (KYC) से लेकर एडवांस पर ब्याज दर और आउटसोर्सिंग गाइडलाइंस जैसे जरूरी प्रोसेस में कमियां पाई गई.
RBI के इस एक्शन को बैंकिंग सेक्टर के लिए एक बड़े मैसेज के तौर पर देखा जा रहा है कि कस्टमर आइडेंटिफिकेशन, इंटरनल कंट्रोल्स और रेगुलेटरी प्रोसीजर का कोई भी वायलेशन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हालांकि RBI ने साफ किया है कि यह पेनल्टी किसी भी कस्टमर ट्रांजैक्शन की वैलिडिटी पर सवाल नहीं उठाती है बल्कि यह सिर्फ रेगुलेशंस के कम्प्लायंस में कमियों पर आधारित है.
HDFC Bank की गलती कहां पर हुई?
RBI के मुताबिक, बैंक के अंदर कई मामलों में KYC कम्प्लायंस को आउटसोर्स किया गया था जो बैंकिंग रेगुलेटरी नज़रिए से एक महत्वपूर्ण मामला है. नियमों के अनुसार KYC जैसे सेंसिटिव और जरूरी कामों की आखिरी ज़िम्मेदारी बैंक की होती है मगर HDFC बैंक ने इसे बाहरी एजेंट्स को आउटसोर्स कर दिया था.
इसके अलावा, RBI की जांच से पता चला कि बैंक ने एक ही लोन कैटेगरी में कई बेंचमार्क इस्तेमाल किए, जो रेगुलेटरी गाइडलाइंस का उल्लंघन है. इसका मतलब है कि इंटरेस्ट रेट तय करने के प्रोसेस में एक एकरूपता और ट्रांसपेरेंसी की कमी थी.
इन मामलों में भी दिक्कत सामने आई
RBI ने HDFC बैंक की फाइनेंशियल स्थिति (31 मार्च 2024 तक) के आधार पर सुपरवाइजरी इवैल्यूएशन (ISE) के लिए एक स्टैच्युटरी इंस्पेक्शन किया. इंस्पेक्शन में कई कमियां सामने आई जिसके कारण बैंक को नोटिस जारी किया गया. बैंक ने बाद में सफाई और एक्स्ट्रा डॉक्यूमेंट दिए लेकिन RBI को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. RBI ने कहा कि उपलब्ध जानकारी और बैंक के जवाबों पर विचार करने के बाद यह साफ था कि आरोप सही थे और उन पर पेनल्टी लगनी चाहिए.
इंस्पेक्शन में यह भी पाया गया कि बैंक की पूरी तरह से मालिकाना हक वाली एक सब्सिडियरी ऐसी बिजनेस एक्टिविटी में शामिल थी जिनकी बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत इजाजत नहीं है. इसे भी नियमों का उल्लंघन माना गया.
RBI ने इन मुद्दों पर अपनी नाराजगी जताई
RBI ने कहा कि बैंक ने फाइनेंशियल सर्विसेज की आउटसोर्सिंग गाइडलाइंस का पालन नहीं किया. इन गाइडलाइंस के तहत बैंक ने KYC वेरिफिकेशन जैसे जरूरी प्रोसेस को आउटसोर्स कर दिया. आउटसोर्सिंग एजेंट्स पर काफी निगरानी और कंट्रोल नहीं था. बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के कुछ नियमों का पालन नहीं किया गया.
RBI ने लगातार चेतावनी दी है कि आउटसोर्सिंग का मतलब यह नहीं है कि बैंक अपनी ज़िम्मेदारियां किसी और पर डाल दे. आखिरी ज़िम्मेदारी हमेशा इंस्टीट्यूशन की होती है चाहे काम एजेंट करे या बैंक का कोई कर्मचारी.
इसका ग्राहकों पर क्या प्रभाव होगा?
कस्टमर अक्सर यह गलत समझते हैं कि बैंक पेनल्टी उनके अकाउंट या ट्रांज़ैक्शन में कोई प्रॉब्लम दिखाती है. हालांकि RBI ने साफ किया कि पेनल्टी नियमों का पालन न करने पर लगाई गई थी. इससे कस्टमर के किसी भी ट्रांज़ैक्शन या उनके अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. RBI ने यह भी कहा कि इस एक्शन का असर दूसरी संभावित पेनल्टी पर नहीं पड़ेगा जिसका मतलब है कि अगर जरूरी हुआ तो RBI आगे भी एक्शन ले सकता है.
RBI ने एक और NBFC पर एक्शन लिया
इसके साथ ही एक अन्य आदेश में आरबीआई ने कहा कि मन्नाकृष्णा इन्वेस्टमेंट्स पर मास्टर डायरेक्शन – एनबीएफसी स्केल बेस्ड रेगुलेशन 2023 का उल्लंघन करने के लिए 3.1 रुपये लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. यह उल्लंघन मुख्य रूप से गवर्नेंस के मुद्दों से संबंधित है.
जरूरी सवाल और उनके जवाब
Q1. RBI ने बैंक पर जुर्माना क्यों लगाया?
RBI ने KYC उल्लंघन, बेंचमार्किंग में गड़बड़ी और आउटसोर्सिंग गाइडलाइंस का पालन न करने के लिए ₹91 लाख की पेनल्टी लगाई.
Q2.क्या यह जुर्माना ग्राहक के लेन-देन प्रक्रिया पर इसका असर पड़ेगा?
नहीं। RBI ने साफ़ किया है कि यह सिर्फ़ रेगुलेटरी नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है और इसका किसी भी कस्टमर ट्रांज़ैक्शन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
Q3. RBI की जांच में क्या कमियां पाई गईं?
KYC प्रोसेस को आउटसोर्स करना अलग-अलग बेंचमार्क अपनाना और सब्सिडियरी कंपनियों द्वारा बिना इजाजत वाले बिज़नेस एक्टिविटी करना.
Q4. क्या बैंक ने इस पर अपना पक्ष बताया?
हां, बैंक ने एक्सप्लेनेशन दिया लेकिन RBI को जवाब उचित नहीं लगा.
Q5. क्या RBI ने दूसरे इंस्टीट्यूशन के खिलाफ एक्शन लिया?
हां, मन्नकृष्णा इन्वेस्टमेंट्स पर भी गवर्नेंस नियमों का उल्लंघन करने के लिए ₹3.1 लाख का जुर्माना लगाया गया था.