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RBI MPC meeting December 2025: RBI का बड़ा ऐलान! रेपो रेट पर फैसला जारी, क्या सस्ते होंगे आपके लोन?

ब्लूमबर्ग द्वारा सर्वे किए गए 44 इकोनॉमिस्ट में से ज़्यादातर को उम्मीद थी कि RBI रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करके इसे 5.25% कर देगा, लेकिन रुपये की गिरावट ने उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

By: Anshika thakur | Last Updated: December 5, 2025 12:03:28 PM IST



RBI Monetary Policy: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करके इसे 5.25% कर दिया है. मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी भारत की रिकॉर्ड-कम महंगाई को गिरते रुपये और 8% से ज़्यादा की GDP ग्रोथ रेट के साथ बैलेंस करने की कोशिश कर रही है.

ब्लूमबर्ग द्वारा सर्वे किए गए 44 इकोनॉमिस्ट में से ज़्यादातर को उम्मीद थी कि RBI शुक्रवार को बेंचमार्क रीपरचेज़ रेट में एक चौथाई पॉइंट की कटौती करके इसे 5.25% कर देगा क्योंकि महंगाई 4% के टारगेट से काफी कम है. लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है और रुपया डॉलर के मुकाबले 90 से नीचे रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिर गया है, इसलिए RBI के पास रेट न घटाने के भी कई कारण थे जैसा कि सिटीग्रुप इंक., स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने भविष्यवाणी की थी.

आरबीआई एमपीसी का आज का फैसला

यहां भारत की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी द्वारा 3-5 दिसंबर को हुई मीटिंग में लिए गए मुख्य फैसलों पर एक नजर है:

  • RBI ने बेंचमार्क रीपरचेज रेट को 25 बेसिस पॉइंट्स घटाकर 5.25% कर दिया है.
  • RBI न्यूट्रल मॉनेटरी पॉलिसी का रुख बनाए रखेगा.
  • RBI ने भारत की GDP ग्रोथ रेट 7.3% रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले अनुमान 6.8% से ज़्यादा है.
  • RBI ने FY26 में भारत में महंगाई दर 2% रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले अनुमान 2.6% से कम है.

पिछली दो मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग्स में रेपो रेट को बिना बदले रखने के बाद, RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने पिछले महीने रेपो रेट में कटौती की संभावना का इशारा किया था, और कहा था कि इसमें कमी करने की “काफी गुंजाइश” है. हालांकि, तब से आए ऑफिशियल डेटा से पता चला है कि 50% US टैरिफ के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूत बनी हुई है, जबकि रुपया कमज़ोर हुआ है.

स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के चीफ़ इकोनॉमिक एडवाइजर और प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइज़री काउंसिल के सदस्य सौम्य कांति घोष ने कहा कि, “नतीजतन, RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती की उम्मीदें कम होती दिख रही हैं,” और ऐसा लगता है कि सेंट्रल बैंक लंबे समय तक पॉज़ की स्थिति में रहेगा.

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