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कौन सा है वो राज्य? जहां आसमान छू रही मंहगाई, कहीं आपका शहर भी तो नहीं शामिल

तेल-घी, सब्जियों, फलों, अंडों, अनाज, जूते-चप्पल और परिवहन सेवाओं की कीमतों में गिरावट हुई है. इन वजहों से सितंबर के मुकाबले खुदरी महंगाई में 119 अंक और खाद्य महंगाई में 269 अंकों की कमी आई है.

By: Anshika thakur | Last Updated: November 13, 2025 9:13:13 AM IST



India Inflation October 2025: अक्टूबर में देश में सबसे ज्यादा महंगाई वाले पांच राज्यों में केरल 8.56 प्रतिशत की गिरावट दर के साथ सबसे ऊपर रहा. इसके बाद जम्मू-कश्मीर (2.85%), कर्नाटक (2.34%), पंजाब (1.81%) और तमिलनाडु (1.29%) का नंबर आता है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक  महंगाई में गिरावट दर्ज की गई. 22 सितंबर को जीएसटी में की गई कटौती ने भी इस गिरावट में अहम भूमिका निभाई जिसका असर अक्टूबर की महंगाई पर साफ दिखाई दिया.

इस दौरान तेल-घी, सब्जियों, फलों, अंडों, अनाज, जूते-चप्पल और परिवहन सेवाओं की कीमतों में गिरावट हुई है. इन वजहों से सितंबर के मुकाबले खुदरी महंगाई में 119 अंक और खाद्य महंगाई में 269 अंकों की कमी आई है. सितंबर में सीपीआई 2.33 फीसदी और सीएफपीआई 1.44 फीसदी दर्ज किया गया. ग्रामीण इलाकों में महंगाई  0.25 फीसदी रही है जो सितंबर में 1.07 फीसदी थी. जबकि शहरी इलाकों में महंगाई दर 1.83 से घटकर 0.88 फीसदी पर आ गई है.

अक्टूबर 2025 के दौरान खुदरा महंगाई और खाद्य महंगाई में गिरावट मुख्य रूप से जीएसटी में कमी अनुकूल आधार प्रभाव और तेल और वसा, सब्जियों, फलों, अंडे, जूते, अनाज, उत्पादों, परिवहन और संचार आदि में महंगाई में गिरावट के पूरे महीने के प्रभाव के कारण है.

अक्टूबर में सब्जियों की खुदरा कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 27.57 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि दालों और उसके उत्पादों की कीमतों में 16.15 प्रतिशत और मसालों की कीमतों में औसतन 3.29 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. इसके विपरीत खाद्य तेलों की औसत खुदरा कीमतों में इस महीने 11.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई लेकिन फलों की कीमतों में 6.69 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. इस दौरान पर्सनल केयर और स्वास्थ्य उत्पादों की खुदरा मुद्रास्फीति क्रमशः 23.88 प्रतिशत और 3.86 प्रतिशत दर्ज की गई.

जनवरी 2015 के बाद महंगाई दर

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जनवरी 2015 में आधार वर्ष को 2010=100 से संशोधित कर 2012=100 कर दिया जिसे उसके बाद लागू किया गया. लागू होने की तय तारीख तक गिरावट जनवरी 2015 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर दर्ज की गई है.

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