Gold Price: सोना मतलब ठोस. ऐसी धातु, जिसे हमेशा से आर्थिक सुरक्षा की गारंटी माना जाता रहा है. यह भी सच है कि अपनी उपयोगिता के चलते सोने की कीमतें हमेशा आसमान पर ही रही हैं. हर दौर में सोना खरीदना आम आदमी के बस के बाहर रहा है. अब जबकि सोने की कीमतों में एक बार फिर बेतहाशा वृद्धि हो रही है तो इस पर चर्चा लाजिमी है. सोने के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं. जानकारों की मानें तो सोने की कीमतों में इजाफा अभी जारी रहेगा. करीब एक साल के दौरान इसमें और बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. सोने की चमक से हर कोई वाकिफ है. अरबों साल पहले अस्तित्व में आया सोना अपनी चमक अरबों साल तक नहीं खोना वाला या कहें सृष्टि के रहने तक सोने की वही महत्ता रहेगी, जो अब है. भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी सोना अपनी चमक बिखेर रहा है. 2025 में चीन ने 4000 टन सोना खरीदकर दुनिया को चौंका दिया. इसके पीछे चीन की चाल भी बताई जा रही है. आने वाले दिनों में चीन हो सकता है सोने की चमक से डॉलर को फीका करने की कवायद करे.
इसमें रोचक बात यह है कि अब तक चीन के पास लगभग 500 टन सोना था जबकि अक्टूबर में यह भंडार 4000 टन के पार पहुंच गया. इसके कुछ मायने हैं, क्योंकि चीन कोई भी काम सोच-समझकर ही करता है. वैश्विक स्तर पर आर्थिक पहलुओं को समझने वाले विशेषज्ञों की मानें तो अब चीन डॉलर के वर्चस्व को सीधी चुनौती दे रहा है. और अब तो चीन के इस एक कदम ने पूरी दुनिया की नींद उड़ा दी है. जानकारों का मानना है कि चीन को वैश्विक स्तर पर आर्थिक हालात के गड़बड़ाने की जानकारी मिल गई है या उसे इसके संकेत मिल गए हैं. ऐसे में वह सोने में निवेश करके इस पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है. इस स्टोरी में हम जानेंगे सोने से जुड़े अन्य रोचक पहलुओं को भी.
1. कहां से आया सोना? (Where does Gold Come From?)
सोना मनुष्य को हर दौर में आकर्षित करता रहा है. यही वजह है कि मानव इतिहास के केंद्र में हमेशा सोना रहा है. बिग बैंग थ्योरी और प्राचीन साम्राज्यों के निर्माण की तरह सोने के जन्म को लेकर मनुष्य में हमेशा से ही उत्सुकता रही है. यह हमेशा ही कौतुहल का विषय रहा है कि आखिर सोना धरती पर कैसे और कब आया? इसको लेकर तमाम कहानियां हैं, लेकिन यहां पर बात करेंगे तथ्यों के आधार पर. ऐसा कहा जाता है कि सोने की कहानी हजारों साल पुरानी है. इस धरती पर जो भी मौजूद है उसका इतिहास और विज्ञान दोनों है. सोना भी उन्हीं में से एक है. अरबों साल पहले विशाल तारों (supernovae) के फटने और न्यूट्रॉन तारों के आपस में टकराने से ब्रह्मांड में सोना बना. ऐसा माना जाता है कि 4.5 अरब साल पहले सोना धरती पर उल्कापिंडों के टकराने के चलते आया. इसी दौरान धरती का भी निर्माण हो रहा था. वैज्ञानिक भी मानते हैं कि शुरुआती दौर में गर्मी और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से अधिकांश सोना पृथ्वी के केंद्र (core) में चला गया था. इसमें एक रोचक बात यह है कि भूकंप और ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक घटनाओं ने सोने को धरती के करीब की चट्टानों तक पहुंचा दिया.
2.सोने को लेकर अलग-अलग थ्योरी (Theory about gold)
सोने के धरती पर अस्तित्व को लेकर अलग-अलग थ्योरी हैं. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि करीब 4 अरब साल पहले पृथ्वी पर उल्कापिंडों की भारी बारिश हुई थी. इस दौरान यानी उल्का पिंडों की बारिश के समय सोने जैसे भारी तत्व धरती पर आ गए. पृथ्वी के अंदर की परतों में भारी धातुएं जैसे तांबा, प्लेटिनम और सोना मौजूद रहा. वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि सोना अंतरिक्ष से धरती पर पहुंचा और यह पृथ्वी के निर्माण के साथ नहीं आया. कहा यह भी जाता है कि सोना शुरू से ही धरती की सतह में था. जब ज्वालामुखी में विस्फोट हुए तो सोना धीरे-धीरे धरती की सतह तक आ गया. ज्वालामुखियों के फटने से ही पिघली धातुएं बाहर आईं. इसके बाद ही सोने के बेहद बारीक कण पानी में घुलने लगे. इसी प्रक्रिया में ये बहकर नदियों और समुद्रों तक पहुंच गए. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्रह्मांड में सोना सुपरनोवा न्यूक्लियोसिंथेसिस (Supernova Nucleosynthesis) नामक प्रक्रिया से बनता है. ऐसा माना जाता है कि यह प्रक्रिया तब होती है जब विशाल सितारे फटते हैं. इसके बाद भारी धातुएं बनती हैं, जिसमें सोना भी शामिल है. धीरे-धीरे ये धातुएं अंतरिक्ष में फैल जाती हैं. दावा तो यह भी किया जाता है कि धरती पर जितना सोना है वह मर चुके तारों से आया है. अंतरिक्ष से आने के बाद ही यह धरती के भूगर्भ में चला गया.
3. सोने को लेकर क्या कहता है अध्ययन (What does the study say about Gold?)
सोना धरती पर कब, कहां और कैसे आया? इसको लेकर बहस और चर्चा जारी है. ‘सोना कहां से आया’ इस विषय पर कोलंबिया विश्वविद्यालय के डॉक्टरेट छात्र अनिरुद्ध पटेल के नेतृत्व में एक अध्ययन किया गया. इस अध्ययन में दावा किया गया कि मैग्नेटर्स (अत्यधिक चुंबकीय न्यूट्रॉन वाले तारे) ब्रह्मांड में सोने जैसे भारी तत्वों को बनाने और फैलाने में मदद कर सकते हैं. इस अध्ययन को द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित किया गया. इसमें कहा गया कि मैग्नेटर फ्लेयर्स की इसमें ज्यादा बड़ी भूमिका हो सकती है. अनिरुद्ध पटेल ने अध्ययन के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और नासा के करीब 20 साल पुराने डेटा का इस्तेमाल किया. एक अध्ययन यह भी कहता है कि पृथ्वी की बाहरी परत का घनत्व हल्का होने से भारी धातुएं धरती की अंदरूनी सतह पर चली गईं. फिर धीरे-धीरे पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से में चली गईं. यही वजह है कि सोना धरती की सतह पर बेहद ही कम है.
4. रोचक हैं सोने से जुड़ी कहानियां? (Interesting gold stories?)
प्राचीन मिस्र की बात करें तो इस देश के लिए यह केवल एक धातु नहीं, बल्कि ‘देवताओं का मांस’ था. खोदाई में इसके सबूत मिले हैं कि मिस्र के राजाओं (फराओ) को सोने के ताबूतों में दफनाया जाता था. बात यही खत्म नहीं होती है. दफनाने के दौरान असंख्य सोने के गहने और मूर्तियां रखी जाती थीं. यूनानियों का मानना था कि सोना कभी नष्ट नहीं होता और यह देवताओं की कृपा का प्रतीक है. सोने से जुड़ा एक फैक्ट और है. कहा जाता है कि युद्ध में जान गंवाने सैनिक के परिवार को जूलियस सीजर 200 गोल्ड क्वाइन बतौर इनाम देता था. यह लंबे समय तक चला. ‘सीथियन सोना’ क्या है? यह जानना भी रोचक है. सीथियन लोग सोने के सिक्के बनाने के लिए प्रसिद्ध थे. 50 ईसा पूर्व में जूलियस सीज़र के करीबी ब्रूटस सीथिया भाग गए. इसके बाद उन्होंने अपनी छवि वाला एक गोल्ड स्टेटर सिक्का ढलवाया था. धातु की ढलाई में सीथियन कारीगर काफी निपुण थे. सीथियन सोने, कांसे और लोहे पर ढलाई, गढ़ाई और अन्य सामग्रियों के साथ जड़ाई जैसी तकनीकों का संयोजन करते थे.
राजा क्रूसस (Croesus) लिडिया साम्राज्य के अंतिम राजा थे. वह अपनी अपार संपत्ति के लिए प्रसिद्ध थे. उनके सोने-चांदी के सिक्कों को इतिहास में काफी महत्व दिया जाता है. क्रूसस को आर्टेमिस मंदिर के निर्माण में भी उनके योगदान के लिए जाना जाता है. क्रूसस ने खदानों और करों से प्राप्त सोने-चांदी से बहुत धन कमाया था. उनके शासनकाल में लिडिया में सोने और चांदी के सिक्कों का विकास हुआ. उनके ही शासनकाल में सोने के सिक्के ढालकर सचमुच पैसों की बाल्टियां बनाई थीं. ऐसा कहा जाता है कि सम्राट मनसा मूसा ने हज यात्रा के दौरान इतना सोना दान कर दिया कि मिस्र की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई.
5. सोने की कीमतों में पहले भी हुई है जोरदार बढ़ोतरी (Gold prices increased several times)
यह पहला मौका नहीं है जब सोने की कीमतों ने आसमान छुआ है. मार्केट एनालिस्ट आसिफ़ इक़बाल की मानें तो वर्ष 1930 के दशक और फिर 1970-80 में सोने के दामों ने बेतहाशा रफ्तार भरी थी. वर्ष 1978 और 1980 के दौरान सोने की क़ीमतों में जबरदस्त इजाफा हुआ था. इसके साथ ही 2 साल (1978 और 1980) के दौरान ही दुनियाभर में सोने की कीमतें 4 गुना हो गई थीं. सोना तब 200 डॉलर प्रति ओंस से बढ़कर लगभग 850 डॉलर प्रति ओंस तक पहुंच गया था. सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे उस दौरान ईरान में क्रांति और अफ़ग़ानिस्तान पर सोवियत हमले से बनी अनिश्चितता को बताया गया था. कहने का मतलब वैश्विक अनिश्चितता के दौर में सोने में दाम में बढ़ोतरी एक वजह हो सकती है, क्योंकि पिछले कुछ सालों के दौरान वैश्विक स्तर पर काफी उथल-पुथल है. कई देश आज भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं.
6. इंपोर्ट क़ानून के तहत भारत में नियंत्रित रहा है सोना (Gold has been controlled in India under the import law)
भारत की बात करें तो देश में हमेशा ही सोने का इंपोर्ट क़ानून के तहत नियंत्रित रहा है. वर्ष 1980 में भारत में 10 ग्राम सोने के दाम 1979 में 937 रुपये से बढ़कर 1330 रुपये हो गए थे. सोने के दाम में 45 प्रतिशत का इजाफा हुआ था. सोने के दाम में लगातार बढ़ोतरी देश हित में नहीं होती है. यही वजह है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिज़र्व के तत्कालीन चेयरमैन पॉल वोल्कर ने एक बड़ा कदम महंगाई को नियंत्रित करने के लिए उठाया. इसके तहत उन्होंने ब्याज दरों में भारी वृद्धि कर दी. इसे अमेरिका में ‘वोल्कर शॉक’ नाम दिया गया था. ब्याज दरों में बढ़ोतरी करते ही सोने की कीमतों में 50 प्रतिशत तक गिरावट आ गई. इसके बाद करीब 2 दशक सोने की कीमतों में कुछ खास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली.
7. 1930 के दशक में गिरी थीं सोने की कीमतें (Gold prices fell in the 1930s)
सोना खरीदना हमेशा ही लाभदायक रहा हो, ऐसा नहीं है, वरना लोग शेयर बाजार और अन्य जगहों पर इन्वेस्ट नहीं करते. वर्ष 1930 के दशक में सोने के दाम गिरे थे. तत्कालीन अमेरिकी सरकार ने क़ानून बनाकर लोगों का सोना जब्त कर लिया था. वर्ष 1933 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट ने एक एक्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए. इसमें ऑर्डर नंबर 6102 काफी सख्त था. इसमें कहा गया कि लोगों को अपना सोना सरकार के पास जमा करना होगा. सरकार ने खुद दाम तय किए जो 20.67 डॉलर प्रति ओंस थे. इसमें नियम यह था कि जो सोना नहीं देगा उस पर जुर्माना लगाने और जेल भेजने का प्रावधान किया गया था. इसके बाद अमेरिकी सरकरार 1934 में गोल्ड रिज़र्व एक्ट लाई. इसमें सोने का भाव 35 डॉलर प्रति ओंस तय कर दिया गया. इसके बाद अमेरिका में लोगों ने सरकार को सोना वापस कर दिया.
8. 6000 साल से सोने का इस्तेमाल कर रहा इंसान (Humans have been using gold for 6000 years)
सोना इंसान के जीवन में सभ्यता के विकास के साथ ही आया. पुरातत्वविदों की मानें तो करीब 6,000 साल पहले से सोने का इस्तेमाल इंसान अपनी सहूलियत और जरूरत के अनुसार कर रहा है. एक अनुमान के अनुसार, अब तक धरती से 2 लाख टन से अधिक सोना निकाला जा चुका है. यह भी कहा जाता है कि इससे कहीं ज्यादा सोना धरती की कोख में छिपा हुआ है. आम धारणा है कि इंसान ने सबसे पहले जब सोने को नदियों की रेत या चट्टानों के बीच चमकते हुए देखा तो वो अपना आकर्षण रोक नहीं पाए. इसके साथ ही इसको पाने की जद्दोजहद भी इंसान ने तेज कर दी. परिणामस्वरूप इंसान ने सोने की खोज शुरू की और कामयाब हुए. सोने के आकर्षण के पीछे एक वजह यह भी है कि इसमें कभी जंग नहीं लगता है और इसकी चमक हमेशा बरकरार रहती है. मिस्र को दुनिया की काफी संभ्यताओं में से एक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि मिस्र की सभ्यता ने सबसे पहले सोने को धार्मिक प्रतीकों के लिए इस्तेमाल किया. सोने को बड़े पैमाने पर गहनों के रूप में ढाला. खोदाई में यहां के राजाओं (फराओ) की कब्रों से सोने के मुखौटों के साथ आभूषण भी मिले हैं. यह बताता है कि सोने को ताकत और अमरता से जोड़कर देखा जाता था.
9. भारत में सोने का इतिहास (History of Gold in India)
सोने का इतिहास भारत में भी काफी पुराना है. सिंधु घाटी सभ्यता की खोदाई में सोने के मनके और गहने मिले हैं. पौराणिक ग्रंथों, वेदों और पुराणों में भी सोने का जिक्र है. इनमें सोने को ‘हिरण्य’ कहा गया है. इसे हमेशा से समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक माना गया है, इसीलिए मंदिरों में सोने के मुकुट या अन्य जेवरात चढ़ाने का चलन सदियों से है. ऐसा माना जाता है कि भारत के लोगों के पास अथाह सोना है. सरकार के पास भी सोने की खरीद का विश्वनीय रिकॉर्ड शायद ही हो. अगर है तो वह विश्वनीय नहीं होगा, क्योंकि लोगों के पास जमा सोना सरकार की नजर में नहीं है. यह अलग बात है कि सोने की खदानों के मामले में हम दुनिया के देशो्ं के सामने कहीं नहीं ठहरते हैं. हमारे यहां सोने के कण भी नहीं पाए जाते हैं. भारत में सोना कैसे आया? इसके पीछे भी रोचक तथ्य है. कहा जाता है कि भारत अन्य देशों को मसाले, कपड़ा और कलाकृतियों निर्यात करता रहा है. इसके बदले भारत में सदियों से सोना और चांदी आता रहा है. इस तरह भारत गोल्ड का प्रिजर्वर बन गया. गैर अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, भारत के पास आज करीब 10000 टन से ज्यादा सोना है, जिसके सामने दुनिया के कई देश कहीं नहीं ठहरते हैं.
10. क्या होता है कैरेट? (What is a carat?)
“कैरेट” का अर्थ किसी मिश्र धातु में सोने की सापेक्ष मात्रा है, जबकि कैरेट वजन की एक इकाई (200 मिलीग्राम) है. 24 कैरेट सोना 100 प्रतिशत सोना होता है. जबकि 18 कैरेट सिर्फ 75 प्रतिशत होता है. इस तरह 14 कैरेट 58 प्रतिशत और 12 कैरेट 50 प्रतिशत होती है. सबसे अंत में 9 कैरेट सोना सिर्फ 37.5 प्रतिशत होता है.
11. भारत में कब-कब बढ़ी कीमतें
- 1990 के दशक में सोने की कीमत लगभग 3,200 रुपये प्रति 10 ग्राम थी.
- 2000 की शुरुआत सोने की कीमतें बढ़कर 4,400 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गईं.
- 2008 आर्थिक संकट के दौर में सोने की दरें लगभग 20,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक बढ़ गई थीं
- 2010 में सोने की कीमत लगभग 18,000 रुपये प्रति 10 ग्राम थी
- 2020 में कोरोना महामारी के कारण होने वाली अनिश्चितताओं के कारण कीमतें 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से अधिक हो गई थीं.