Reliance Group Financial Fraud Exposed: इनवेस्टिगेटिव पोर्टल कोबरापोस्ट ने गुरुवार (30 अक्टूबर, 2025) को बहुत ही बड़ा आरोप लगाया है. दरअसल, कोबरापोस्ट ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने 2006 से समूह की कंपनियों से धन की हेराफेरी करके 41,921 करोड़ रुपये से अधिक की भारी वित्तीय धोखाधड़ी की है. समूह ने इस आरोप को शेयर कीमतों को गिराने के उद्देश्य से एक दुर्भावनापूर्ण अभियान बताकर खारिज कर दिया.
कोबरापोस्ट ने क्या-क्या दावे किए? (What claims did Cobrapost make?)
कोबरापोस्ट ने दावा किया कि बैंक ऋण, आईपीओ से प्राप्त राशि और बॉन्ड के माध्यम से जुटाए गए लगभग 28,874 करोड़ रुपये, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस होम फाइनेंस, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस और रिलायंस कॉर्पोरेट एडवाइजरी सर्विसेज सहित सूचीबद्ध समूह फर्मों से प्रमोटर-संबंधित कंपनियों में स्थानांतरित कर दिए गए.
अपनी जांच का हवाला देते हुए कोबरापोस्ट ने यह भी आरोप लगाया कि सहायक कंपनियों और शेल फर्मों के एक नेटवर्क का उपयोग करके सिंगापुर, मॉरीशस, साइप्रस, ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह, अमेरिका और ब्रिटेन में अपतटीय संस्थाओं के माध्यम से “धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से” भारत में 1.535 बिलियन अमेरिकी डॉलर (13,047 करोड़ रुपये) की अतिरिक्त राशि भेजी गई.
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कोबरापोस्ट ने किए चौंकाने वाले खुलासे (Cobrapost made shocking revelations)
कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि सिंगापुर स्थित कंपनी, इमर्जिंग मार्केट इन्वेस्टमेंट्स एंड ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड (ईएमआईटीएस) ने एक “रहस्यमयी लाभार्थी”, नेक्सजेन कैपिटल से 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त किए और बाद में भंग होने से पहले इस राशि को रिलायंस समूह की होल्डिंग कंपनी, रिलायंस इनोवेंचर्स को हस्तांतरित कर दिया – एक ऐसा लेनदेन जिसके बारे में कंपनी का कहना है कि ‘यह धन शोधन के बराबर हो सकता है.’
रिलायंस समूह ने क्या जवाब दिया? (What was the response of Reliance Group?)
कोबरापोस्ट के इस आरोप पर रिलायंस समूह का भी जवाब सामने आया है. जिसमें कहा गया है कि यह रिपोर्ट खुद से बनाई गई और एजेंडे पर आधारित कॉर्पोरेट हिट जॉब बताया और कोबरापोस्ट के सभी आरोपों को खारिज कर दिया. इसके अलावा कंपनी ने कहा कि आरोप “पुरानी, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित हैं, जिसकी सीबीआई, ईडी, सेबी और अन्य एजेंसियों द्वारा पहले ही जांच की जा चुकी है.’ यह “निष्पक्ष सुनवाई को नुकसान पहुंचाने का एक संगठित प्रयास था.
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