Dolma Aunty: डोल्मा आंटी का नाम डोल्मा सेरिंग है लेकिन ज़्यादातर लोग उन्हें डोल्मा आंटी के नाम से ही जानते हैं और डोल्मा आंटी कहकर बुलाते हैं. उनका जन्म तिब्बत में हुआ हैं और यह बचपन से ही भारत आ गईं थी और इनका परिवार कई अन्य लोगों के साथ दलाई लामा छोड़कर भारत आ गया.
आज दिल्ली के लोगो का मोमोज़ से प्रेम अमर लगता हो लेकिन साल पहले तक यह तिब्बती नाश्ता दिल्ली में बहुत कम लोगों के बीच जाना जाता था. लाजपत नगर के सेंट्रल मार्केट के बीचों-बीच एक तिब्बती महिला ने चुपचाप दिल जीत लिया.
जानिए डोल्मा आंटी की कमाई
डोल्मा आंटी शुरुआत के दिनों में 15 रुपये में 6 मोमो बेचती थीं और आज एक प्लेट का रेट 70-100 रुपये तक हो गए हैं मगर भीड़ आज भी बड़ रही है. इसके अलावा उन्होंने दो और आउटलेट खोले हैं और सभी जगहों पर आज भी वही पुराना स्वाद बरकरार है. फूड इन्फ्लुएंसर बिज़ब्रेन के मुताबिक डोल्मा आंटी का स्टॉल रोज करीब 1,900 प्लेटें बेचता है जिससे रोज उनकी 1.9-2 लाख रुपये तक की कमाई होती है. एक छोटा सा स्ट्रीट स्टॉल को दिल्ली के मशहूर फ़ूड ब्रांड में बदल दिया जिसकी अब हर महीने करीब 60 लाख रुपये की कमाई होती है.
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दिल्ली के लागो का मोमो के प्रति प्यार
अब उनका बेटा रामू काम संभालते हैं लेकिन डोल्मा आंटी उस स्वाद का ध्यान रखती हैं जिससे वह प्रसिद्ध हुई हैं.
दोपहर होने तक उसके स्टॉल के बाहर लंबी लाइन लग जाती है. कई लोगों के लिए यह सिर्फ़ जल्दी खाया जाने वाला फूड नहीं है बल्कि दिल्ली के स्ट्रीट फूड की परंपरा का हिस्सा है.
डोल्मा आंटी ने दिल्ली के मसालेदार स्वाद को ध्यान में रखते हुए अपनी रेसिपी में बदलाव किए और एक तीखी चटनी बनाई है जो आगे चलकर उनकी खासियत बन चुकी हैं. चाहे पनीर मोमो हो, सब्ज़ी हो, चिकन हो कॉलेज के छात्रों, दफ़्तर वालों और पर्यटकों, सभी उनके मोमो चाव से खाते हैं.