बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सिर्फ राजनीतिक दुनिया ही नहीं हिलाई, बल्कि एक बड़े परिवार के भीतर छुपी ‘असली जंग’ को भी बाहर ला दिया है. जीत की उम्मीद में डूबा परिवार अब विभाजन और विवाद की चपेट में है. यह विवाद तब सामने आया जब लालू यादव को किडनी दान करने वाली उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी यादव और उनके सलाहकारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए राजनीति और परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया. दुर्व्यवहार के उनके आरोपों के बाद, तेजस्वी की तीन और बहनें अब राबड़ी आवास छोड़कर चली गई हैं, जिससे परिवार में अंदरूनी कलह और बढ़ गई है.
रोहिणी आचार्य के साथ दुर्व्यवहार के आरोप
राजद की हार के बाद, रोहिणी आचार्य ने सीधे तौर पर तेजस्वी यादव और उनके करीबी राज्यसभा सांसद संजय यादव पर निशाना साधा. रोहिणी ने आरोप लगाया कि चुनावी हार के बारे में सवाल पूछने पर उनके साथ बदतमीज़ी की गई और उन्हें चप्पलों से पीटने की धमकी दी गई. इन आरोपों के बाद, रोहिणी ने न केवल पार्टी राजनीति छोड़ दी, बल्कि परिवार से सभी संबंध भी तोड़ दिए. वह पहले दिल्ली और फिर सिंगापुर चली गईं. अब वह सोशल मीडिया के ज़रिए अपने विचार व्यक्त कर रही हैं.
तीन और बेटियों ने राबड़ी आवास छोड़ा
रोहिणी आचार्य द्वारा तेजस्वी यादव पर लगाए गए आरोपों और उनके घर से जाने के बाद, लालू यादव की तीन अन्य बेटियों – चंदा यादव, राज लक्ष्मी यादव और रागिनी यादव ने भी राबड़ी आवास छोड़ दिया. ये तीनों बहनें अपने परिवार और बच्चों के साथ पटना से दिल्ली चली गईं. लालू परिवार की इतनी सारी बेटियों का एक साथ राबड़ी आवास से जाना इस बात का संकेत है कि बिहार चुनाव में मिली करारी हार के बाद परिवार में तनाव चरम पर है और सत्ता के बंटवारे को लेकर अंदरूनी मतभेद और गहरे हो गए हैं.
करारी हार ने पारिवारिक बगावत को जन्म दिया
राजद को चुनावों में भारी जीत मिलने की उम्मीद में सभी बहनें राबड़ी आवास पर डेरा डाले हुए थीं. हालाँकि, नतीजों ने तेजस्वी यादव के सारे दांव उलट दिए और राजद की करारी हार साबित हुई. चुनावी हार ही लालू परिवार के भीतर इस बगावत की जड़ थी.