Saptashloki Durga Strota: हिंदू धर्म में देवी दुर्गा को शक्ति और सिद्धि की अधिष्ठात्री माना गया है. उनका स्मरण और स्तुति करने से भक्त को साहस, ऊर्जा और जीवन में विजय प्राप्त होती है. इन्हीं स्तुतियों में से एक है सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र, जो केवल सात श्लोकों का संकलन है. यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली और चमत्कारी माना गया है. विश्वास है कि प्रतिदिन इसका पाठ करने से साधक के सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि तथा शांति का वास होता है.
सप्तश्लोकी दुर्गा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, स्वयं भगवान शंकर ने सप्तश्लोकी दुर्गा की महिमा बताते हुए इसे साधकों के लिए कल्याणकारी कहा है. इन सात श्लोकों में देवी की महिमा, उनकी कृपा और उनके संरक्षण का वर्णन किया गया है. जो व्यक्ति श्रद्धा और निष्ठा के साथ इन श्लोकों का पाठ करता है, उसे देवी की कृपा सहज ही प्राप्त होती है.
पाठ करने का सही समय और विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें.
दीपक जलाकर पुष्प, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें.
फिर श्रद्धा भाव से सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का पाठ करें.
इसे नवरात्रि या अन्य देवी पर्वों में करने से विशेष फल मिलता है, किंतु साधक चाहे तो इसे रोजाना भी पढ़ सकता है.
चमत्कारी लाभ
संकटों से मुक्ति – जीवन में आने वाले बड़े से बड़े संकट भी माता की कृपा से दूर हो जाते हैं.
धन और समृद्धि – पाठ करने से आर्थिक तंगी कम होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है.
आत्मबल और आत्मविश्वास – साधक का मनोबल बढ़ता है और नकारात्मकता दूर होती है.
आध्यात्मिक उन्नति – नियमित पाठ करने से मन एकाग्र होता है और भक्ति का भाव प्रबल होता है.
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रहस्य क्या है?
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का रहस्य इसकी संक्षिप्तता में छिपा है. केवल सात श्लोकों में देवी की संपूर्ण शक्ति, करुणा और कृपा का सार समाहित है. यही कारण है कि इसे संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का सार भी कहा जाता है. श्रद्धापूर्वक इसका पाठ करने से साधक को वही फल प्राप्त होता है, जो दुर्गा सप्तशती के विस्तृत पाठ से मिलता है.
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र भक्तों के लिए एक दिव्य कवच की तरह है. केवल सात श्लोकों के नियमित पाठ से जीवन की हर बाधा का नाश होता है और साधक को सुख, शांति व समृद्धि प्राप्त होती है. यह स्तोत्र वास्तव में मां दुर्गा की कृपा पाने का सरल और सिद्ध साधन है.