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Tulsi Vivah 2025: 02 या 03 नवंबर कब है तुलसी विवाह? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Tulsi vivah 2025: तुलसी विवाह के दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की पूजा की जाती है. तुलसी विवाह कार्तिक मास में मनाया जाता है. तो आइए जानते हैं कि तुलसी विवाह की सही तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से.

By: Shivi Bajpai | Published: October 28, 2025 10:29:54 AM IST



Tulsi Vivah 2025: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का खास महत्व है.  हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह करवाया जाता है. तुलसी विवाह के दिन भगवान शालिग्राम के साथ माता तुलसी का विवाह होता है. शालिग्राम को हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. तो आइए जानते हैं कि साल 2025 में तुलसी विवाह कब है और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और कब तक रहेगा?

तुलसी विवाह कब है? (Tulsi Vivah Kab Hai)

हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का खास महत्व है. हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह करवाया जाता है. तुलसी विवाह के दिन शालिग्राम भगवान के साथ तुलसी जी का विवाह करवाया जाता है. शालिग्राम को हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि साल 2025 में तुलसी विवाह कब है और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा?

तुलसी विवाह की तिथि ( Tulsi Vivah Date)

हिंदू पंचांग अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 33 मिनट से होगा. वहीं द्वादशी तिथि 3 नवंबर को सुबह 2 बजकर 7 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में 3 नवंबर को उदयातिथि में द्वादशी नहीं है, इसलिए 2 नवंबर के दिन ही तुलसी विवाह का त्योहार मनाया जाएगा. 

तुलसी विवाह की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:59 मिनट से 05:49 मिनट तक
प्रातः सन्ध्या- सुबह 05:24 मिनट से 06:39 मिनट तक
अमृत कालृ- सुबह 09:29 मिनट से 11:00 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:59 मिनट से, दोपहर 12:45 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:04 मिनट से 06:30 मिनट तक

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तुलसी विवाह का महत्व (Tulsi Vivah Ka Mehtav)

तुलसी विवाह के दिन भगवान शालिग्राम को दूल्हे की तरह सजाकर उनका विवाह माता तुलसी के साथ करवाया जाता है. शालिग्राम को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है, वहीं तुलसी माता को प्रकृति की माता माना जाता है. ऐसे में तुलसी और शालिग्राम का विवाह प्रकृति और ईश्वर के बीच एकरूपता और मनुष्य के जीवन में इन दोनों (ईश्वरीय शक्ति और प्रकृति) के महत्व को दर्शाता है. 

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

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