Chhath Puja 2025: देश भर में छठ महापर्व की धूम है. “नहाय खाए” इस महापर्व की शुरुआत का प्रतीक है. सूर्य उपासना का यह महापर्व 25 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. इस महापर्व पर भगवान सूर्य के साथ छठी मैया की पूजा की जाती है. छठी मैया कौन हैं? भगवान सूर्य से उनका क्या संबंध है? आइए काशी के एक ज्योतिषी से जानते हैं. पुराणों के अनुसार, छठी मैया प्रकृति की देवी हैं. सृष्टि की रचना के समय प्रकृति छह भागों में विभाजित हुई थी. यह छठा भाग ही छठी मैया हैं, जिनकी पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है. कुछ स्थानों पर इन्हें भगवान ब्रह्मा की आध्यात्मिक पुत्री भी माना जाता है. इसके अलावा, इन्हें भगवान सूर्य की बहन भी कहा जाता है.
नवजात शिशुओं की रक्षा
ऐसा माना जाता है कि छठी मैया नवजात शिशुओं की छह महीने तक रक्षा करती हैं. इसलिए, माताएं छठ के महापर्व पर अपने पुत्रों की कुशलता के लिए उनकी पूजा करती हैं और उन्हें जल अर्पित करती हैं. शास्त्रों में षष्ठी तिथि को स्त्री प्रधान माना गया है. इसलिए, इस पूजा को छठी मैया के नाम से छठ से जोड़ा गया.
इस कामना से किया जाता है व्रत
छठ का महापर्व चार दिनों तक चलता है. देश भर में महिलाएं संतान प्राप्ति के साथ-साथ धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं. यह व्रत सबसे कठिन होता है, जो बिना जल के 36 घंटे तक चलता है. खरना के दिन चावल और गुड़ की खीर खाने के बाद यह कठिन व्रत शुरू होता है. पहले दिन डूबते सूर्य को जल अर्पित किया जाता है और आखिरी दिन उगते सूर्य को जल अर्पित करके व्रत का समापन किया जाता है. बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित कई राज्यों में इस दिन शानदार छठ मनाया जाता है.
हम छठ पूजा क्यों मनाते हैं?
छठ पूजा में व्रती महिलाएं व्रत के दौरान बिना जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं; इसे अनुशासन और तपस्या का सर्वोच्च उदाहरण माना जाता है. छठ के दौरान ठेकुआ, सूप, केला, गन्ना और कद्दू-भात जैसे पारंपरिक प्रसाद का विशेष महत्व होता है.व यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सूर्य न केवल ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि जीवन का आधार भी है. छठ पूजा के प्रत्येक अनुष्ठान के पीछे प्रकृति के साथ सामंजस्य और संयम का गहरा संदेश छिपा है. आधुनिक युग में भी, यह पर्व हमें सिखाता है कि आस्था तभी सार्थक होती है जब वह अनुशासन और कृतज्ञता के साथ हो.