Home > बिहार > Chhath Puja 2025: कुंवारी लड़कियां क्यों नहीं करती हैं छठ पूजा, महाभारत काल से जुड़ी है इसके पीछे की दिलचस्प कहानी!

Chhath Puja 2025: कुंवारी लड़कियां क्यों नहीं करती हैं छठ पूजा, महाभारत काल से जुड़ी है इसके पीछे की दिलचस्प कहानी!

छठ पूजा 2024 में कुंवारी कन्याएँ व्रत क्यों नहीं रखतीं? इसके पीछे महाभारत काल की एक पौराणिक कथा जुड़ी है, जिसमें कुंती और सूर्य देव की कहानी छिपी है. जानिए वह रहस्य जिसने इस परंपरा को जन्म दिया.

By: Shivani Singh | Published: October 23, 2025 11:20:00 PM IST



Chhath puja 2025: कुंवारी कन्याएँ छठ पूजा का व्रत नहीं रखतीं. हालाँकि, इसके पीछे एक प्रबल पौराणिक मान्यता है. इसकी कथा महाभारत काल से जुड़ी है. इसी पौराणिक मान्यता के आधार पर, कोई भी माता-पिता अपनी अविवाहित पुत्री को छठ व्रत नहीं रखने देते. तो आइए आपको बताते हैं कि वह मान्यता क्या है.

कुंवारी कुंती का पुत्र

छठ पूजा में, भक्त छठी मैया के साथ सूर्य देव की पूजा करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में, कुंती ने कुंवारी अवस्था में ही सूर्य देव की पूजा की थी. कुंती को मिले एक वरदान के कारण, पूजा के तुरंत बाद सूर्य देव प्रकट हुए और कुंती से उनका आशीर्वाद लेने को कहा. भगवान भास्कर ने कुंती को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया. यही कारण है कि अविवाहित कन्याएँ छठ पर्व के दौरान सूर्य की पूजा या पूजा नहीं करतीं.

सारथी ने बच्चे को बचाया

पुत्र प्राप्ति के बाद कुंती व्याकुल हो गईं. कुंवारी अवस्था में पुत्र प्राप्ति के विचार से व्याकुल कुंती कुछ समझ नहीं पाईं और उन्होंने बालक को सुरक्षित पास की एक नदी में विसर्जित कर दिया. बालक रोता हुआ नदी में बह गया. इसी बीच, एक सारथी ने बालक के रोने की आवाज़ सुनी. उसने बालक को नदी से बाहर निकाला और घर ले आया.

Chhath puja 2025: नदी, तालाब या पोखर में ही खड़े होकर क्यों दिया जाता है छठी मैया को अर्घ्य

राधेय बड़ा होकर कर्ण बना

शुरू में, बालक का नाम उसकी धाय माँ राधे के नाम पर राधेय रखा गया था, लेकिन बाद में वह महाभारत का एक वीर योद्धा कर्ण बना. आज भी लोग कर्ण की मित्रता की चर्चा करते हुए कहते हैं, “अगर कोई मित्र हो, तो कर्ण जैसा हो, जिसने सब कुछ जानते हुए भी अपने मित्र दुर्योधन की दयालुता को कभी नहीं भुलाया और मृत्युपर्यंत उसके साथ रहा.”

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी पौराणिक कथाओं, धार्मिक मान्यताओं और लोकविश्वासों पर आधारित है. इसका उद्देश्य किसी भी आस्था या परंपरा को बढ़ावा देना या खंडन करना नहीं है. पाठकों से निवेदन है कि इसे धार्मिक संदर्भ में आस्था और विश्वास के प्रतीक के रूप में ही देखें। वैज्ञानिक या ऐतिहासिक प्रमाणों के रूप में इसका दावा नहीं किया गया है.

Chhath Puja 2025: अक्टूबर में नहाय खाय के साथ किस दिन से शुरू होगी छठ पूज, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और टाइम

Advertisement