Sexual Helth: हाल ही में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्रकाशित एक शोध ने एक बड़े खतरे की ओर इशारा किया है. इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री, 2025 में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लोग यौन क्रिया के दौरान अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए तरह-तरह की दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये दवाएं उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं और एचआईवी व हेपेटाइटिस सहित मानसिक बीमारियों के खतरे को बढ़ा रही हैं. एम्स के डॉक्टरों ने इस घटना को केमसेक्स नाम दिया है, जो दो शब्दों केमिकल और सेक्स से बना है, जिसका अर्थ है यौन संबंध बनाने से पहले दवाओं की खुराक लेना. शोध से पता चला है कि अन्य देशों की तरह भारत में भी लोग इस चलन का अनुसरण कर रहे हैं.
क्या कहती है रिसर्च
एम्स दिल्ली स्थित राष्ट्रीय औषधि निर्भरता उपचार केंद्र (एनडीडीटीसी) ने यह शोध किया. इस रिपोर्ट का शीर्षक है ‘भारत में केमसेक्स को समझने के लिए एक ऑनलाइन अध्ययन’. यह सर्वेक्षण सोशल मीडिया के माध्यम से किया गया था और इसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे लोग शामिल थे जिन्होंने कम से कम एक बार यौन संबंध बनाए थे. एम्स दिल्ली द्वारा किया गया यह अपनी तरह का पहला ऑनलाइन अध्ययन है. यह यौन संबंध बनाने से पहले नशीली दवाओं के सेवन के पैटर्न और उससे जुड़े जोखिमों का पता लगाता है.
शक्ति बढ़ाने के लिए ऐसी दवाएं लेने वाले लोग
इसमें पता चला कि लोग यौन क्रिया के दौरान मेथामफेटामाइन (क्रिस्टल मेथ या ‘आइस’) जैसी दवाएँ ले रहे हैं. युवा पुरुषों और अन्य पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने वाले पुरुषों में इसका सेवन बढ़ा है.इस ऑनलाइन सर्वेक्षण में 136 लोगों ने भाग लिया. ये सभी नशे के आदी थे. 75% पुरुष और 25% LGBTQ+ समुदाय से थे. इन 136 में से 46 ने यौन क्रिया के दौरान नशीली दवाओं और दवाओं का सेवन करने की सूचना दी. मेथाम्फेटामाइन (क्रिस्टल मेथ या ‘आइस’) का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया गया. इनमें से इक्कीस लोगों ने यौन क्रिया के दौरान IV ड्रिप के ज़रिए भी ड्रग्स का इस्तेमाल किया और उनमें से सात एचआईवी पॉजिटिव पाए गए. शोध से पता चला है कि नशीली दवाओं के सेवन से यौन संबंध कई यौन साथियों वाले और समूह सेक्स करने वालों में ज़्यादा आम हैं. इनमें से कुछ लोगों को एचआईवी और यौन संचारित रोग भी हुए.
लोग यौन क्रिया बढ़ाने के लिए नशीली दवाओं का सहारा क्यों ले रहे हैं?
यह शोध भारत में बदलते यौन और नशीली दवाओं के चलन की एक खतरनाक तस्वीर पेश करता है. इन चलनों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना ज़रूरी है, क्योंकि शोध बताते हैं कि ये चलन एचआईवी के मामलों को बढ़ा सकते हैं. यह एक ऐसे वायरस की रोकथाम में बाधा बन सकता है जिसे भारत में प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा रहा है.
शक्तिवर्धक दवाएं
भारत में यौन शक्ति बढ़ाने के लिए सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली दवा सिल्डेनाफिल साइट्रेट है, उसके बाद टैडालाफिल. ये दवाएँ यौन शक्ति को काफ़ी बढ़ा देती हैं. इनका असर कई घंटों तक रहता है. हालाँकि, इनके कई नुकसान भी हैं और ये अचानक मौत का कारण भी बन सकती हैं.
शक्तिवर्धक दवाओं के नुकसान
मेथ और आइस जैसी दवाएं नसों को नुकसान पहुंचाती हैं. ये दवाएं रक्तचाप बढ़ाती हैं और हृदय गति रुकने, स्ट्रोक और ब्रेन हेमरेज के जोखिम को बढ़ाती हैं. जो लोग नशे के प्रभाव में यौन संबंध बनाते हैं, वे अवसाद और अकेलेपन का शिकार हो सकते हैं. ये दवाएँ एचआईवी और हेपेटाइटिस से लेकर हृदय रोग तक कई खतरनाक बीमारियों का कारण बन रही हैं. एचआईवी संक्रमण विशेष रूप से खतरनाक है. नशीली दवाओं के बढ़ते इस्तेमाल से एचआईवी के मामलों में वृद्धि हो सकती है.
इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
इसके लिए LGBTQ+ समुदाय के लिए अलग से नशामुक्ति और यौन स्वास्थ्य क्लिनिक स्थापित किए जाने चाहिए. सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स पर कोड-आधारित निगरानी प्रणाली लागू करना भी ज़रूरी है. युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य और यौन शिक्षा का दायरा बढ़ाना ज़रूरी है. लोगों को नशे के नुकसानों के बारे में जागरूक करने और स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित करने की भी ज़रूरत है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है