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Biggest Metro Network : दुनिया के 5 सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क, जानें भारत कौन से नंबर पर लगा रहा दौड़?

Biggest Metro Network : भारत का मेट्रो नेटवर्क तेजी से बढ़ रहा है, जो अब दुनिया में तीसरे स्थान पर है. ये शहरी जीवन को सुविधाजनक, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है.

By: sanskritij jaipuria | Published: October 21, 2025 4:04:39 PM IST



Biggest Metro Network : आज की तेज रफ्तार जिंदगी में मेट्रो रेल सिर्फ एक साधारण परिवहन साधन नहीं रह गई है, बल्कि ये अब स्मार्ट सिटी की पहचान बन चुकी है. चाहे बात टोक्यो की सटीकता की हो, न्यूयॉर्क की भीड़ से बचने की, या दिल्ली की मेट्रो की रफ्तार कीमेट्रो अब मॉडर्न शहरी जीवन की धड़कन बन चुकी है.

भारत ने भी इस दिशा में चुपचाप लेकिन तेजी से प्रगति की है. आज भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है मेट्रो नेटवर्क की लंबाई के मामले में. देश के कई शहरों में नई लाइनें बन रही हैं और भविष्य के लिए बड़े-बड़े प्रोजेक्ट तैयार हैं. आइए जानें कि क्यों मेट्रो शहरी जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है और भारत इसमें कैसे रोल निभा रहा है.

क्यों जरूरी है मेट्रो नेटवर्क?

जैसे-जैसे शहरों की जनसंख्या बढ़ती जा रही है, ट्रैफिक जाम और प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में मेट्रो रेल एक ऐसा समाधान बनकर उभरी है, जो तेज, सस्ता, साफ-सुथरा और पर्यावरण के अनुकूल है. मेट्रो सिर्फ यात्रा का माध्यम नहीं है ये आधुनिक और टिकाऊ शहरों की रीढ़ है. एक अच्छा मेट्रो नेटवर्क शहर को ज्यादा कुशल, व्यवस्थित और रहने योग्य बनाता है.

दुनिया के 5 सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्क

चीन का मेट्रो सिस्टम दुनिया में सबसे बड़ा है. शंघाई मेट्रो अकेले ही लगभग 900 किलोमीटर लंबा है, जो दिल्ली से अहमदाबाद की दूरी के बराबर है. चीन हर महीने नई मेट्रो लाइनें शुरू कर रहा हैजैसे मेट्रो बनाना उसके लिए एक राष्ट्रीय खेल हो.

अमेरिका की मेट्रो सिस्टम पुरानी और फेमस है. न्यूयॉर्क की मेट्रो 1904 से चल रही है और इसके 472 स्टेशन हैं दुनिया में सबसे ज्यादा. तकनीकी चुनौतियों के बावजूद, ये सिस्टम आज भी लाखों लोगों की यात्रा को संभव बनाता है.

1984 में कोलकाता मेट्रो से शुरू हुआ भारत का सफर अब 23 शहरों तक पहुंच चुका है. 779 किमी लाइन निर्माणाधीन है और 1,083 किमी योजना के अधीन है. दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु जैसी मेट्रो लाइनें अब भारत की शहरी पहचान बन चुकी हैं.

जापान की टोक्यो मेट्रो को टाइमिंग और शुद्धता के लिए दुनिया में जाना जाता है. ट्रेनें सेकंडों में चलती हैं और लोग उनकी विश्वसनीयता पर आंख बंद कर भरोसा करते हैं.

सियोल मेट्रो में हाइटेक सुविधाएं जैसे वाई-फाई, गर्म सीटें और स्मार्ट नेविगेशन मिलते हैं. दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से विकसित मेट्रो सिस्टम में से एक है.

भारत की मेट्रो यात्रा: कोलकाता से कश्मीर तक

भारत की मेट्रो कहानी नवाचार और विकास की गाथा है.

1984: कोलकाता मेट्रो, भारत की पहली मेट्रो सेवा.

2002: दिल्ली मेट्रो का शुभारंभनई ऊंचाइयों की शुरुआत.

2025: 1,000 किमी पार करने की उपलब्धि.

आज देश के 23 शहरों में मेट्रो चल रही है, जिनमें लखनऊ, कोच्चि, जयपुर, पुणे और अहमदाबाद शामिल हैं. दिल्ली मेट्रो अकेले रोजना 70 लाख से ज्यादा यात्रियों को सफर कराती है.

किन कारणों से भारत में मेट्रो का विकास तेज हुआ?

1. नीतिगत सहयोग: 2017 की मेट्रो रेल नीति से परियोजनाओं को हरी झंडी मिलनी आसान हुई.

2. वित्तीय सहायता: 2025-26 के बजट में 34,807 करोड़ मेट्रो परियोजनाओं के लिए आवंटित किए गए.

3. तकनीकी विकास: QR कोड टिकटिंग, स्मार्ट कार्ड और बिना ड्राइवर वाली ट्रेनें अब आम हो रही हैं.

भारत का मेट्रो भविष्य कैसा दिखता है?

2030 तक भारत 2,000 किमी से ज्यादा ऑपरेशनल मेट्रो लाइनें शुरू करने की योजना बना रहा है. अगर सब कुछ योजनानुसार चला, तो भारत अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बन सकता है.

टूरिज्म में मेट्रो का रोल

टूरिस्ट्स के लिए मेट्रो सबसे सस्ती और तेज यात्रा का साधन है. कम खर्च में पूरा शहर घूमना मुमकिन हो जाता है.

बड़े शहरों में ट्रैफिक एक बड़ी परेशानी है. मेट्रो से आप कुछ ही मिनटों में किसी भी दर्शनीय स्थल तक पहुंच सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट्स के लिए सुरक्षा और स्वच्छता प्राथमिकता होती है. दिल्ली, टोक्यो और सियोल जैसे शहरों की मेट्रो इन मानकों पर खरे उतरते हैं.

मल्टी-लैंग्वेज संकेत, डिजिटल मैप और मोबाइल ऐप्स से अब मेट्रो यात्रा पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गई है.

हर मेट्रो स्टेशन अपने शहर की कहानी कहता है चाहे वो दिल्ली का चांदनी चौक हो, लंदन का वेस्टमिंस्टर या टोक्यो का शिबुया.

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