कैल्शियम सिर्फ हड्डियों के लिए नहीं, बल्कि महिलाओं की समग्र सेहत के लिए बेहद जरूरी मिनरल है. यह मांसपेशियों को काम करने, नसों से सिग्नल भेजने, हृदय की धड़कन नियंत्रित करने और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है. खासकर महिलाओं में, गर्भावस्था, वर्कआउट, हार्मोनल बदलाव जैसे दौरों में कैल्शियम की ज़रूरत और बढ़ जाती है. लेकिन अक्सर हमें इसका कमी चिन्ह स्पष्ट नहीं दिखाई देते, और छोटी-छोटी बीमारियाँ बड़ी समस्याओं का संकेत बन जाती हैं.
मसल ऐंठन और स्पास्म्स
जब शरीर में कैल्शियम की कमी होती है, तो मांसपेशियां आराम से सिकुड़ना और खुलना नहीं कर पाती. इससे हाथ, बाँहें, टांगों या पीठ में अचानक ऐंठन या मरोड़ महसूस होती है, खासकर रात को या चलते-फिरते समय. जैसे ही आप चलने-फिरने की कोशिश करते हैं, मांसपेशियों को उत्तेजना मिलती है और वे दर्दनाक स्पास्म्स कर सकती हैं. यह सिर्फ असुविधा नहीं बल्कि एक संकेत है कि शरीर को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल रहा है. अगर ये ऐंठन अक्सर हो, तो यह जरूरी है कि आप अपनी डाइट को कैल्शियम-रिच फूड्स से भरें.
अनियमित हृदय ताल या धड़कन
थकान और ऊर्जा की कमी
बहुत अच्छी नींद के बाद भी अगर आप थके हुए महसूस करती हैं, काम करने की शक्ति नहीं होती, और छोटे-छोटे काम भी भारी लगते हैं, तो हो सकता है कि कैल्शियम का स्तर कम हो. ऐसा इसलिए क्योंकि कैल्शियम कोशिकाओं को ऊर्जा बनाने और मांसपेशियों को काम करने में मदद करता है. कमी होने पर कोशिकाएँ कमज़ोर हो जाती हैं, नर्वस सिस्टम ठीक से काम नहीं करता, और आप आसानी से थकावट महसूस करती हैं. ऊर्जा लेवल गिरने से मूड, प्रेरणा और दैनिक कार्यों पर असर पड़ता है.
नाखूनों और त्वचा में बदलाव
जब कैल्शियम की मात्रा पर्याप्त नहीं होती तो नाखून कमज़ोर हो जाते हैं — वो आसानी से टूटते, चिपकते या बंट जाते हैं. त्वचा सूखी, तैलीयता-हीन और खुरदरी हो सकती है; कभी-कभी खुजली या छोटे-छोटे चकत्ते भी दिख सकते हैं. यह शरीर की बाहरी सतहों की स्थिति बताती है कि भीतरी स्तर पर पोषण संतुलन बिगड़ गया है. यदि मधुर मोइस्चराइजर कम असर कर रहा हो, तो हो सकता है कि कैल्शियम-युक्त आहार या सप्लीमेंट लेना जरूरी हो.