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पाकिस्तान में इंसानियत खत्म; सिंध में 15 साल की हिंदू नाबालिग बेटी का अपहरण और जबरन धर्मांतरण

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 15 वर्षीय मूक-बधिर हिंदू लड़की के लापता होने और बाद में मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने का मामला सामने आया है. परिवार ने जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया, जबकि संगठन ने निष्पक्ष जांच की मांग की है.

By: Team InKhabar | Published: October 19, 2025 7:05:31 PM IST



Pakistan: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में 15 साल की एक मूक-बधिर हिंदू लड़की पिछले नौ दिनों से लापता थी. शनिवार 18 अक्टूबर 2025 को यह लड़की अचानक मीडिया के सामने आई. उसके साथ मौजूद एक प्रमाण-पत्र के मुताबिक, उसने एक उम्रदराज मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर ली है और इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है.यह लड़की बदिन जिले के कोरवाह कस्बे की रहने वाली है. जब वह लापता हुई थी, तो उसके परिवार ने पुलिस में अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी. परिवार का कहना है कि उनकी बेटी नाबालिग है और बोल या सुन नहीं सकती, ऐसे में उसके लिए किसी भी शादी के लिए सहमति देना संभव नहीं था. लड़की के पिता ने सवाल उठाया कि आखिर उनकी मूक-बधिर बेटी एक ऐसे व्यक्ति से शादी कैसे कर सकती है, जो नशे के कारोबार में शामिल है और जिसकी पहले से सात बेटियाँ हैं.

संगठन ने उठाई जांच की मांग

हिंदू और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन दरवार इत्तेहाद पाकिस्तान के प्रमुख शिव कच्छी ने कहा कि यह मामला जबरन धर्म परिवर्तन और अपहरण का है. उन्होंने बताया कि इस घटना से स्थानीय हिंदू परिवारों में डर और बेचैनी बढ़ गई है. कच्छी का कहना है कि परिवार ने कई बार पुलिस से मदद मांगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर समय पर कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसे मामले और बढ़ सकते हैं और ऐसी घटनाएं अल्पसंख्यक समुदायों के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ा रही हैं.

अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा

Minority Rights रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान की कुल आबादी में हिंदू समुदाय की हिस्सेदारी करीब 1.2 प्रतिशत है, यानी 19.6 लाख लोग रहते हैं. जिनमें से अधिकांश सिंध के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. रिपोर्टों में कहा गया है कि हाल के वर्षों में जबरन धर्म परिवर्तन, अल्पसंख्यक लड़कियों की जबरन शादी और धार्मिक हिंसा के मामलों में तेज़ी आई है.स्थानीय संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे मामलों में न्यायिक कार्रवाई और पीड़ितों की सुरक्षा बेहद ज़रूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.

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