मेनोपॉज (Menopause) में अक्सर लोग सिर्फ हार्मोन की चिंता करते हैं, बढ़े हैं, कम हुए, या उन्हें बदलना है. लेकिन, सच कहें तो हेल्थ अब हार्मोन तक सीमित नहीं रही. अब पुरानी आयुर्वेदिक समझ और आधुनिक लाइफस्टाइल (Modern Lifesytle) साइंस मिलकर महिलाओं के लिए सही संतुलन बनाने लगी हैं.
असल में दोनों की भाषा अलग है, लेकिन मैसेज वही है- संतुलित रहो, ध्यान रखो, और हर किसी के लिए अलग तरीका अपनाओ. आज के डॉक्टर कहते हैं कि तनाव, नींद और खाने‑पीने की आदतें सीधे हार्मोन को प्रभावित करती हैं. आयुर्वेद भी सदियों से यही कहता आया है, बस शब्द अलग हैं. जब आयुर्वेद दोष असंतुलन या अग्नि की बात करता है, तो वह वही समझाता है जो हम अब मेटाबॉलिज्म, सूजन और स्ट्रेस कहते हैं.
हेल्थ को मॉनिटर करने वाले टूल्स
असल में इसे लागू करना आसान है- अपने हार्मोन और हेल्थ को मॉनिटर करने वाले टूल्स, सही खानपान, हल्की एक्सरसाइज और बायोमार्कर्स के साथ जोड़ें सचेत भोजन, हर्बल सपोर्ट, तेल की मालिश और मौसम के हिसाब की दिनचर्या. इससे सिर्फ लक्षण कम नहीं होते, बल्कि शरीर और मन दोनों को शांति और स्थिरता मिलती है.
शरीर को फिट रखते हैं
योग और ध्यान इस पूरे सेटअप की आखिरी परत हैं. ये ना सिर्फ शरीर को फिट रखते हैं, बल्कि मानसिक संतुलन भी बनाते हैं. मेनोपॉज़ हार्मोन से शुरू होती है, लेकिन असली बैलेंस तब आता है जब मन और शरीर दोनों में तालमेल हो. अब महिलाओं को परंपरा और आधुनिकता में से किसी एक को चुनना नहीं पड़ेगा; दोनों मिलकर उनका हेल्थ गेम बेहतर बना देंगे.
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