Chhoti Diwali 2025 Ka Mehtav: इस वर्ष छोटी दीवाली आज यानी कि 19 अक्टूबर, रविवार को मनाई जा रही है.दिवाली से एक दिन पहले आने वाला यह पर्व नरक चतुर्दशी, काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी प्रसिद्ध है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, हनुमान जी, मां लक्ष्मी और यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व होता है.छोटी दिवाली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर सोलह हजार कन्याओं को मुक्त कराया था.
छोटी दिवाली 2025 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर दोपहर 1:53 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर दोपहर 3:46 बजे तक रहेगी.छोटी दिवाली की पूजा का सर्वोत्तम समय 19 अक्टूबर शाम 5:47 बजे से रात 9 बजे तक रहेगा.वहीं, अभ्यंग स्नान का शुभ समय सुबह 5:12 से 6:25 बजे तक बताया गया है.
पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले तिल के तेल से अभ्यंग स्नान करने की परंपरा है.स्नान के बाद घर और मंदिर की सफाई करें तथा गंगाजल का छिड़काव करें.फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और भगवान गणेश, श्रीकृष्ण, हनुमान जी, मां लक्ष्मी और यमराज की विधिवत पूजा करें.पूजा में बेसन या बूंदी के लड्डू का भोग लगाना शुभ माना जाता है.
शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर एक आटे का चौमुखा दीपक जलाकर यमराज को समर्पित करें.ऐसा करने से अकाल मृत्यु और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है.पूजा के अंत में यमराज से दीर्घायु और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें.
Chhoti Diwali 2025: छोटी दीवाली पर किस भगवान की होती है पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
कितने दीपक जलाना शुभ है
छोटी दिवाली पर 14 दीपक जलाने की परंपरा है.इनमें से एक यमराज के लिए, एक भगवान श्रीकृष्ण के लिए और एक माता काली के लिए जलाया जाता है.शेष दीपक घर के मुख्य द्वार, रसोई, आंगन, तुलसी के पास और छत पर जलाना शुभ माना जाता है.इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का वास होता है।
छोटी और बड़ी दिवाली में अंतर
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहा जाता है, जबकि बड़ी दिवाली अमावस्या के दिन मनाई जाती है.छोटी दिवाली पर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध हुआ था, वहीं बड़ी दिवाली पर भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे. छोटी दिवाली पर दीपदान, स्नान और पूजा करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि घर में धन-धान्य और खुशियों का आगमन भी होता है.