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ISRO: भारत का पहला सौर मिशन आदित्य L1, जानिए कैसे करेगा सूर्य का अध्ययन

ISRO: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपना पहला सौर मिशन 'आदित्य-एल1' सफलतापूर्वक लॉन्च किया. आदित्य एल1 को 2 सितंबर, 2023 को सुबह 11.50 बजे (भारतीय समयानुसार) श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया.

By: Mohammad Nematullah | Published: October 15, 2025 7:21:32 PM IST



ISRO: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है. चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अब सूर्य के अध्ययन की दिशा में एक और महत्वाकांक्षी कदम उठाया है. मिशन ‘आदित्य L1’. यह भारत का पहला सौर मिशन है. जिसका उद्देश्य सूर्य के बाहरी वायुमंडल. कोरोना का अध्ययन करना है.

आदित्य L1 मिशन क्या है?

आदित्य L1 को लैग्रेंज बिंदु 1 (L1) पर तैनात किया जाएगा. जो सूर्य और पृथ्वी के बीच एक विशिष्ट बिंदु है. यह बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. जिससे यह बिना किसी बाधा के सूर्य का निरंतर अवलोकन कर सकेगा. इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक सूर्य के तापमान, चुंबकीय क्षेत्र, और सोलर विंड्स जैसी गतिविधियों को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे.

मिशन का उद्देश्य

इसरो का यह मिशन सूर्य की गतिविधियों का विश्लेषण कर यह जानने में मदद करेगा कि सौर तूफान (Solar Storms) पृथ्वी और उपग्रह संचार पर कैसे असर डालते है. यह अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. आदित्य L1 सात वैज्ञानिक उपकरण (payloads) ले जा रहा है. जिनमें से चार सूर्य की सतह का अध्ययन करेंगे और तीन उसके आसपास के कणों और क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे.

लॉन्च और उपलब्धि

आदित्य एल1 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया. यह मिशन सफलतापूर्वक L1 कक्षा बिंदु पर पहुंच गया है और वैज्ञानिक ने इसे भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है. यह मिशन न केवल भारत को सौर ऊर्जा अध्ययन में आत्मनिर्भर बनाएगा. बल्कि वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक सहयोग को भी बढ़ावा देगा.

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