Uranium Exploration In Haryana: विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए देश भर में अनेक परियोजनाएं चल रही हैं. नारनौल भी इसी कड़ी में शामिल है. दरअसल, हरियाणा के नारनौल से सटे लगभग एक दर्जन गांवों में यूरेनियम अन्वेषण के लिए ड्रिलिंग और परीक्षण का काम चल रहा है. रिपोर्टों के अनुसार, परमाणु ऊर्जा विभाग के परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय के प्रयास रंग लाते दिख रहे हैं और भविष्य में यह क्षेत्र न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक मानचित्र पर भी अपनी पहचान बनाने में सफल होगा. भूवैज्ञानिक इन गांवों में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज कर रहे हैं और रिपोर्टों से पता चलता है कि वे अपनी खोजों को लेकर आश्वस्त हैं.
परमाणु ऊर्जा को लेकर किया जा रहा लोगों को जागरूक
भारत के ऊर्जा क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा की भूमिका को उजागर करने के लिए, हरियाणा के नारनौल क्षेत्र के दौचाना गांव में एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. राजवंशी स्कूल में आयोजित इस कार्यक्रम में किसानों, ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों को परमाणु ऊर्जा के महत्व और क्षमता के बारे में जानकारी दी गई. परमाणु ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक – सेवानिवृत्त अतिरिक्त निदेशक ओम प्रकाश यादव और उत्तरी क्षेत्र प्रभारी ए.के. पाठक, उप-क्षेत्रीय निदेशक राकेश मोहन, ड्रिलिंग प्रभारी राम अवध राम और कई अन्य विशेषज्ञ उपस्थित थे.
इस क्षेत्र में यूरेनियम के मिलने की प्रबल संभावना – वैज्ञानिक
कार्यक्रम के दौरान, क्षेत्र की पहाड़ियों में पाई जाने वाली चट्टानों, जैसे एम्फिबोल, शिस्ट, मैग्नेटाइट, एल्बिटाइज्ड कैल्शियम-सिलिकेट और क्वार्टजाइट, का प्रदर्शन किया गया. इन चट्टानों की जांच करने पर, वैज्ञानिकों ने बताया कि इस क्षेत्र में यूरेनियम की प्रबल संभावना है. ओम प्रकाश यादव ने कहा कि यूरेनियम ऊर्जा का सबसे शक्तिशाली और स्वच्छ स्रोत है. केवल एक किलोग्राम यूरेनियम से 3,000 टन कोयले के बराबर बिजली पैदा की जा सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए, भारत को अपनी बिजली की खपत को संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के स्तर पर लाना होगा, जिसके लिए बिजली उत्पादन के नए स्रोत खोजने होंगे.
हरियाणा के फतेहाबाद जिले में पहले से ही एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र कार्यरत है, और अब नारनौल और उसके आसपास के गांवों—दौचाना, रायपुर, मोहनपुर, जखनी, बदोपुर, भाकरी, शिमला और जादूपुर—को भी भविष्य के ऊर्जा विकास केंद्रों के रूप में माना जा रहा है. वर्तमान में, भारत की अधिकांश बिजली कोयला आधारित संयंत्रों से आती है, लेकिन सरकार का लक्ष्य आने वाले वर्षों में परमाणु ऊर्जा के योगदान को 50% तक बढ़ाना है.
इस क्षेत्र में संभावित यूरेनियम भंडारों का पहली बार 2020 में हवाई सर्वेक्षण के माध्यम से सर्वेक्षण किया गया था. इसके बाद, चट्टानों के वैज्ञानिक अध्ययन के साथ, भूमिगत अन्वेषण और ड्रिलिंग शुरू की गई.
ईवीएम, बुलेटप्रूफ जैकेट आदि में भी होता है यूरेनियम का इस्तेमाल
ए.के. पाठक ने बताया कि यूरेनियम केवल रक्षा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है; इसका उपयोग बिजली उत्पादन, चिकित्सा उपकरणों (जैसे कैंसर के इलाज), बुलेटप्रूफ जैकेट निर्माण और यहां तक कि ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में भी किया जाता है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र न केवल ऊर्जा उत्पादन में, बल्कि महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक दौड़ में भी भारत को मजबूत करेगा.
कब होगा IPS वाई पूरन कुमार का पोस्टमार्टम?