digital Arrest scam: दिल्ली-NCR समेत देशभर में साइबर क्राइम में लगातार इजाफा हो रहा है. कोरोना काल के दौरान साइबर क्राइम में 500 प्रतिशत का इजाफा हुआ था. यह सिलसिला लगातार जारी है. एक साल से अधिक समय से डिजिटल अरेस्ट ने लोगों की हालत खराब कर दी है. शातिर ठग पलभर में लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपये चट कर जाते हैं. डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक चिंता जता चुके हैं.
5 में से 1 व्यक्ति अपना पैसा वापस पाने की नहीं करते कोशिश (1 in 5 people do not try to get their money back)
एक पूर्व बैंकर की मानें तो अगस्त में उनके साथ डिजिटल अरेस्ट के जरिये 23 करोड़ ($2.6 मिलियन) की ठगी हुई थी. वहीं, सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 से कुल नुकसान 2,580 करोड़ रुपये ($290 मिलियन) है. हेग स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था ग्लोबल एंटी-स्कैम अलायंस के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि वित्तीय घोटाले के केवल 28 प्रतिशत पीड़ित ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराध की सूचना देते हैं. एक आंकड़ा यह भी बताता है कि 5 में से 1 व्यक्ति अपना पैसा वापस पाने की कोशिश भी नहीं करता है. कुल मिलाकर डिजिटल अरेस्ट के शिकार शर्म और डर के मारे भी सामने नहीं आते हैं. कुछ का मानना है कि पुलिस और साइबर पुलिस इतनी शिकायतकर्ताओं के साथ इतनी बेरुखी से पेश आती है.
शर्म के मारे लोग नहीं करते हैं पुलिस से शिकायत (People do not complain to the police because of shame)
साइबर क्राइम के शिकार लोग पैसा पाने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन शायद ही कभी सफल होते हैं. यह स्थिति सिर्फ भारत की नहीं है बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी वसूली दर निराशाजनक है. भारत में जो लोग छोटी रकम गंवाते हैं, उन्हें अक्सर पुलिस शिकायत दर्ज कराने की जहमत नहीं उठाने को कहती है. कुछ लोग तो डिजिटल अरेस्ट की वजह से इतने शर्मिंदा होते हैं कि वो अपने परिवारों से अपना नुकसान छिपाना पसंद करते हैं. इतना ही नहीं वह साइबर क्राइम विभाग ने शिकायत तक नहीं करते हैं.
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन से कहीं लोगों का उठ ना जाए भरोसा (People should not lose their trust in online transactions)
डिजिटल अरेस्ट के शिकार लोग इस कदर निराश हो रहे हैं कि वह ऑनलाइन ट्रांसफर से दूरी बनाने लगे हैं. इसका नतीजा यह हो सकता है कि आने वाले समय में लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन से दूरी ना बना लें. जानकारों का कहना है कि अगर इस घोटाले के कारण मध्यम वर्ग का वित्तीय व्यवस्था से भरोसा उठ जाता है, तो उन्हें सस्ती नकदी को अलविदा कहना होगा.
क्या है डिजिटल अरेस्ट? और कैसे बचें (What is digital arrest and how to avoid it)
सामान्य भाषा में कहें तो डिजिटल अरेस्ट ऐसा साइबर स्कैम है. इसमें फोन या वॉट्सएप या स्काइप कॉल शातिर अपराधी फोनकर मानसिक रूप से टॉर्चर करते हैं. भावनात्मक रूप से दबाव बनाते हैं और फिर ठगी करते हैं. डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए आपको अलर्ट रहना होगा. ऐसे में उपभोक्ता किसी अनजान नंबर से कोई फोन या वॉट्सएप कॉल आती है तो रिसीव करते वक्त मुंबई पुलिस की एडवाइजरी को याद रखें.