Cash Limit: आजकल ज़्यादातर लेन-देन ऑनलाइन होते हैं. बिजली के बिल भरने से लेकर मोबाइल फ़ोन रिचार्ज करने तक, लगभग हर काम डिजिटल भुगतान के ज़रिए होता है. इसके बावजूद, नकदी की ज़रूरत पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. लोग शादी-ब्याह, मेडिकल इमरजेंसी या रोज़मर्रा के खर्चों के लिए घर में नकदी रखना ज़रूरी समझते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि घर में कितनी नकदी रखना क़ानूनी तौर पर जायज़ है.
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क्या घर में नकदी रखने की कोई लिमिट है?
इनकम टैक्स ने घर में नकदी रखने की कोई निश्चित सीमा तय नहीं की है. यानी आप चाहें तो लाखों या करोड़ों रुपये नकद रख सकते हैं. क़ानून इस पर रोक नहीं लगाता. हालाँकि, एक ज़रूरी शर्त है: आपको यह साबित करना होगा कि यह पैसा क़ानूनी तौर पर कमाया गया है.
स्रोत का प्रमाण होना जरुरी
यदि आपके पास बड़ी मात्रा में नकदी है और आयकर विभाग पूछताछ करता है, तो आपको उसका स्रोत बताना होगा. यह राशि वेतन, व्यवसाय, संपत्ति की बिक्री या बैंक से निकासी से प्राप्त हो सकती है. आपके पास इसका प्रमाण होना चाहिए, जैसे बैंक स्टेटमेंट, आयकर रिटर्न (आईटीआर), वेतन पर्ची या लेन-देन रसीदें.
कानून क्या कहता है?
आयकर अधिनियम की धारा 68 और 69B के अनुसार, यदि आप किसी भी धन का स्रोत नहीं बता पाते हैं, तो उसे अघोषित आय माना जाता है. ऐसे मामलों में, आपको न केवल कर देना होगा, बल्कि 78% तक का जुर्माना भी लग सकता है.
कब आ सकती है परेशानी?
- यदि आयकर विभाग को बड़ी मात्रा में नकदी मिलती है और आप उसका प्रमाण नहीं दे पाते हैं.
- यदि नकदी आपके आयकर रिटर्न या खाता बही में दिखाई गई राशि से मेल नहीं खाती है.
- यदि आपको 2 लाख रुपये से अधिक का नकद उपहार मिला है या आपने संपत्ति की खरीद या बिक्री में इतनी नकदी का उपयोग किया है, तो इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा.
किन लेन-देन पर कड़े प्रतिबंध हैं?
- पचास हजार से अधिक की बैंक जमा या निकासी के लिए पैन कार्ड आवश्यक है.
- एक वित्तीय वर्ष में ₹20 लाख से अधिक की नकद जमा राशि के लिए पैन और आधार कार्ड दोनों ज़रूरी हैं.
- ₹30 लाख से अधिक के संपत्ति लेनदेन की जाँच की जा सकती है.
- ₹1 लाख से अधिक के क्रेडिट कार्ड भुगतान भी आयकर विभाग की जाँच के अधीन हैं.
इसका मतलब है कि भारत में घर पर नकदी रखना गैरकानूनी नहीं है. हालाँकि, अगर राशि बड़ी है, तो उसका हिसाब-किताब रखना ज़रूरी है. उचित दस्तावेज़ और पारदर्शिता एक सुरक्षा कवच का काम करती है. अन्यथा, अघोषित आय पर कर और भारी जुर्माने का जोखिम रहता है.