Bihar Vidhan Sabha Chunav: बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) गठबंधन द्वारा खारिज किए जाने के बाद एआईएमआईएम (AIMIM) ने शनिवार को कहा कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की प्लान बना रही है. जो पिछले चुनाव में लड़ी गई सीट की संख्या से 5 गुना ज्यादा है. हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी (एआईएमआईएम) ने दावा किया कि उसका उद्देश्य बिहार में एक ‘तीसरा विकल्प’ तैयार करना है. जहां सालो से राजनीति भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस-राजद गठबंधन के इर्द-गिर्द घूमती रही है. एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि हमारी योजना 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की है. एनडीए और महागठबंधन दोनों को हमारी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
क्या तीसरा विकल्प बना पायेंगे
उन्होंने यह भी दावा किया कि 2020 में एआईएमआईएम पर धर्मनिरपेक्ष वोट को बांटने का आरोप लगाने वाला ‘महागठबंधन’ अब ऐसा नहीं कर सकता कि यह अब सर्वविदित है कि मैंने (राजद अध्यक्ष) लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को पत्र लिखकर गठबंधन की इच्छा व्यक्त की थी. लेकिन कोई जवाब नहीं आया है. उन्होंने आगे फिर कहा कि अब हमें अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा. हम तीसरे मोर्चे की संभावना तलाशने के लिए समान विचारधारा वाले दलों से भी बातचीत कर रहे हैं. एआईएमआईएम नेता ने कहा ‘कुछ ही दिनों में सब कुछ साफ हो जाएगा. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के लिए चुनाव 6 और 11 नवंबर को होंगे और मतगणना 14 नवंबर को होगी.
एआईएमआईएम 2020
एआईएमआईएम ने 2020 का विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बसपा और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली अब भंग हो चुकी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ा था. बाद में कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा नामक एक नया संगठन बनाया और एनडीए में शामिल हो गए. पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीती थीं और माना जाता है कि उसने कई अन्य विधानसभा क्षेत्रों में राजद, कांग्रेस और वाम गठबंधन को नुकसान पहुंचाया था.’
हालांकि 2022 में एआईएमआईएम के चार विधायक राजद में शामिल हो गए. इमाम जो पहले राजद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू में थे, अब एआईएमआईएम के एकमात्र विधायक हैं.
मुस्लिम मतदाताओं पर नजर
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार एआईएमआईएम बिहार के उस क्षेत्र पर नजर गड़ाए हुए है जहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं. वे कुल आबादी के 17 प्रतिशत से भी कम हैं. फिर भी उन्हें राज्य विधानसभा में कभी आनुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.
पिछले महीने ओवैसी ने सीमांचल क्षेत्र का दौरा किया और किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जैसे ज़िलों का दौरा करते हुए चार दिन बिताए, जहां अल्पसंख्यकों की अच्छी-खासी आबादी है.
हालांकि ओवैसी राजद, जद(यू) और कांग्रेस पर मुसलमानों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन उन पर “भाजपा की बी टीम” होने का आरोप लगाया जा रहा है. जो भगवा पार्टी की मदद के लिए धर्मनिरपेक्ष वोटों को हथियाने की कोशिश कर रही है.