Dhanteras Ki Kahani: धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. ये त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन सोना, चांदी और नए बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन खरीदारी करने से सुख-समृद्धि का वास होता है. तो आइए जानते हैं कि धनतेरस पर खरीदारी करने का क्या महत्व होता है?
धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए क्षीर सागर में समुद्र मंथन किया था. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही, मंथन के दौरान, भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे. जब वह प्रकट हुए, तो उनके हाथों में अमृत से भरा हुआ एक स्वर्ण कलश था. जो धन और आरोग्य का प्रतीक माना जाता है. क्योंकि भगवान धन्वंतरि अपने साथ अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को ‘धन त्रयोदशी’ भी कहा जाता है.
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धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने से जुड़ी पौराणिक कथा
धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है. जब भगवान विष्णु ने राजा बलि के घमंड को तोड़ने के लिए वामन अवतार लिया था, तब उन्होंने बलि से तीन पग भूमि मांगी थी. राजा बलि ने उन्हें दान देने का वचन दिया था. वामन भगवान ने अपने पहले पग में पूरी पथ्वी को नाप लिया और पग को स्वर्गलोक को भी नापा. तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया.
इस तरह राजा बलि ने अपना सब कुछ दान में गंवा दिया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राजा बलि ने देवताओं से जो धन-संपत्ति छीन ली थी, उससे कई ज्यादा धन-संपत्ति देवताओं को वापस मिल गई थी.