Bihar Chunav 2025: चुनाव आयोग ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार, बिहार में दो चरणों में मतदान होगा. पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा.नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएँगे.
इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने 9 अक्टूबर, 2025 को एक वादा किया है, जिसकी आज खूब चर्चा हो रही है. दरअसल, उन्होंने वादा किया कि अगर राजद की सरकार बनती है, तो हर परिवार को एक सरकारी नौकरी दी जाएगी. तेजस्वी ने यहां तक कहा कि, “एनडीए ने 20 साल में युवाओं को नौकरी नहीं दी. हम 20 दिन में कानून लाएँगे और 20 महीने में उसे लागू करेंगे.”
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अन्य दलों ने तेजस्वी के वादे पर उठाए सवाल
बता दें, तेजस्वी के इस वादे की अन्य दलों ने जमकर आलोचना की है. उनके विरोधियों का कहना है कि बिहार में 20 महीने में लगभग 2.5 करोड़ परिवारों को सरकारी नौकरी देना मज़ाक नहीं, बल्कि एक उपहास है. जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने तो व्यंग्यात्मक लहजे में कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में दो करोड़ नौकरियाँ देने का अपना वादा पूरा नहीं कर सके, तो बिहार में सिर्फ़ 20 महीनों में साढ़े तीन करोड़ सरकारी नौकरियाँ देने का वादा भी मूर्खता के सिवा कुछ नहीं है. आइए आँकड़ों और तथ्यों के ज़रिए तेजस्वी यादव के दावे की सच्चाई की पड़ताल करते हैं.
तेजस्वी के वादे में कितना जुमला और कितनी हक़ीक़त?
2025 में बिहार की आबादी 13.1 करोड़ होने का अनुमान है. 2023 के जाति-आधारित सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में कुल परिवारों की संख्या लगभग 2.76 करोड़ है. इसी सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार की 1.57 प्रतिशत आबादी सरकारी नौकरियों में है। यानी लगभग 20 लाख लोग सरकारी नौकरियों में हैं.
हालाँकि, बिहार सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए हाल ही में की गई डीए वृद्धि के अनुसार, राज्य में 48 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. यह मानते हुए कि प्रत्येक नियोजित व्यक्ति पर कम से कम डेढ़ लोग निर्भर हैं, 75 लाख परिवार रोज़गार प्रदान करने में सक्षम नहीं होंगे। इसका मतलब है कि कम से कम 2.25 करोड़ लोगों को अभी भी रोज़गार की आवश्यकता होगी.
2025 तक कुल रिक्तियाँ 64,559 होने का अनुमान है, जो विभिन्न विभागों (जैसे BPSC, BSSC, पुलिस और स्वास्थ्य) में विभाजित हैं. नीतीश कुमार सरकार का दावा है कि उसने 2020 से अब तक कुल 12 लाख रोज़गार सृजित किए हैं. तेजस्वी यादव का 20 महीनों में 2.25 करोड़ रोज़गार सृजित करने का वादा बजट, संसाधनों और प्रशासनिक क्षमता से परे है. यह विशेष रूप से तब सच है जब मौजूदा समय में बिहार एक अंदर उपलब्ध सरकारी नौकरियां सालाना 50,000 से 1 लाख रुपए के बीच होती हैं.
केवल नौकरी नहीं, सैलरी भी देनी होती है
2.25 करोड़ नौकरियाँ (औसत वेतन ₹320,000/वर्ष) सृजित करने पर प्रति वर्ष कम से कम ₹7.52 लाख करोड़ खर्च होंगे. हालाँकि सरकारी नौकरियों में औसत वेतन सालाना ₹320,000 से थोड़ा ज़्यादा है, फिर भी यह मानकर चलें कि तेजस्वी कम से कम ₹25,000 मासिक वेतन वाली नौकरियाँ देते हैं, तो भी इतना खर्च होना स्वाभाविक है.
बिहार का 2025-26 का कुल बजट ₹2.5 लाख करोड़ है. तेजस्वी का वादा इससे तीन गुना ज़्यादा महँगा है. बिहार की जीडीपी ₹10.97 लाख करोड़ है। यह खर्च जीडीपी का 68.5% है, जो आर्थिक रूप से असंभव है. बिहार में सरकारी कर्मचारियों (लगभग 500,000) पर सालाना खर्च लगभग ₹50,000 करोड़ है. 2.25 करोड़ नौकरियाँ मौजूदा खर्च का 150 गुना हैं. इस लिहाज़ से देखा जाए तो तेजस्वी यादव ने बिहार और यहां की जनता के साथ एक बेहद ही गंदा मज़ाक किया है.
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