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Karwa Chauth Temple : 364 दिन बंद रहता है ये मंदिर, सिर्फ करवा चौथ के दिन माता देती है दर्शन

Karwa Chauth 2025 : करवा चौथ 2025 पर इस खास मंदिर में पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी, माता के तीन स्वरूपों के दर्शन करेंगी और विशेष प्रसाद प्राप्त करेंगी.

By: sanskritij jaipuria | Published: October 9, 2025 9:39:32 PM IST



Karwa Chauth 2025 : करवा चौथ का त्योहार हर साल सुहागन महिलाओं द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. ये दिन पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए खास माना जाता है. 2025 में भी इस पर्व पर महिलाएं निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद ही अपना उपवास खोलेंगी. इस दिन धार्मिक नगरी उज्जैन में करवा चौथ के विशेष अवसर पर एक अनोखा मंदिर खुलता है, जो केवल इस दिन ही भक्तों के लिए खुला रहता है.

उज्जैन में नागदा बायपास मार्ग पर शिप्रा नदी के किनारे जीवनखेड़ी क्षेत्र में करवा चौथ माता का एक विशेष मंदिर है. ये मंदिर देवी पार्वती के तीन स्वरूपों के साथ-साथ उनकी बहुएं रिद्धि, सिद्धि और उनके भाई लाभ, शुभ, तथा बहन संतोषी माता को समर्पित है. ये मंदिर पूरे साल 364 दिन बंद रहता है और केवल करवा चौथ के दिन ही इसके द्वार खोले जाते हैं.

 तीन स्वरूपों में माता के दर्शन

माना जाता है कि करवा चौथ के दिन माता के तीन अलग-अलग रूपों के दर्शन होते हैं. सुबह वो बाल स्वरूप में, दोपहर में किशोरी रूप में और शाम को एक विशेष स्वरूप में प्रकट होती हैं. इसी वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु, खासकर सुहागन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां, यहां आकर माता के दर्शन करती हैं और अपने पति या भविष्य के लिए लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं.

 पूजा और प्रसाद की अनूठी परंपरा

मंदिर में करवा चौथ के दिन पूजा-अर्चना के बाद भक्तों को विशेष प्रसाद भी दिया जाता है. इस प्रसाद में मां कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष, गर्भग्रह का सिक्का और माता रानी का तांत्रिक कपड़ा शामिल होता है. ये प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए बेहद शुभ माना जाता है और इसे बड़े ही श्रद्धा भाव से ग्रहण किया जाता है.

 मंदिर का इतिहास और महत्व

TV 9 से बातचीत के दौरान मंदिर के व्यवस्थापक डॉ. कैलाश नागवंशी के अनुसार, ये मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा कस्बे में स्थित मां करवा चौथ के सिद्ध पीठ से जुड़ा हुआ है. करवा चौथ माता को इसी मंदिर से उज्जैन लाया गया है. तब से ये मंदिर केवल करवा चौथ के दिन भक्तों के लिए खुलता है और उनकी मनोकामनाएं पूरी करता है.

करवा चौथ का ये पर्व केवल व्रत और पूजा का दिन नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, समर्पण और आस्था का प्रतीक भी है. उज्जैन का ये अनोखा मंदिर इस पर्व को और भी खास बनाता है, जहां माता के दिव्य दर्शन और विशेष प्रसाद के साथ हर महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है.

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