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Kartik Maas 2025: श्री हरि को सर्वाधिक प्रिय है कार्तिक मास, जानिए क्या है इस महीने में बेहद खास

Kartik Maas 2025 Start इस वर्ष 08 अक्टूबर 2025, बुधवार से कार्तिक मास का आरंभ हो रहा है, जिसे दामोदर मास भी कहते हैं, इस पवित्र महीने में नदी में स्नान, भजन-कीर्तन, दीपदान करने के साथ तुलसी पूजन का भी विधान है. चलिए जानते है कि कार्तिक मास की विशेषता और उससे जुड़े कुछ जरुरी बातें.

By: Pandit Shashishekhar Tripathi | Published: October 7, 2025 11:48:19 PM IST



Kartik Maas 2025 कार्तिक मास जिसे दामोदर मास भी कहते हैं, सभी मास में यह सबसे अधिक खास माना जाता है, जिसके पीछे एक नहीं बल्कि कई मान्यताएं है. इस पवित्र महीने में नदी में स्नान, भजन-कीर्तन, दीपदान करने के साथ तुलसी पूजन का भी विधान है. कार्तिक महीने में तुलसी पौधे की सेवा और पूजा करने वाले लोगों के घर में सुख शांति बनी रहती है. जो व्यक्ति पूरे माह सच्चे मन से तुलसी और श्री हरि की सेवा, पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं जल्द से जल्द पूरी हो जाती है. इस वर्ष 08 अक्टूबर 2025, बुधवार से कार्तिक मास का आरंभ हो रहा है. आइए जानते है पंडित शशिशेखर त्रिपाठी (Pandit Shashishekhar Tripathi) द्वारा कि कार्तिक मास की विशेषता और उससे जुड़े कुछ जरुरी बातें.

योगनिद्रा से जागे, भगवान विष्णु

भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन महादेव को सौंपकर योग निद्रा में चले जाते हैं और चार महीनों तक शयन करते  हैं, चार माह की योगनिद्रा के वह कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन जागते हैं, इसलिए धार्मिक दृष्टि से यह मास भी खास महत्व रखता है. 

महाभारत में श्रीकृष्ण ने की व्याख्या

महाभारत में श्रीकृष्ण ने भी कहा थी, कि पौधों में मुझे तुलसी, मासों में कार्तिक मास, दिन में एकादशी और तीर्थ में मुझे द्वारिका प्रिय है, इसलिए जो व्यक्ति इस महीने नियमित रुप से तुलसी के पौधे की सेवा करता है, दीपदान करता है, जाप करता है उसकी सभी मनोकामना  पूरी होती है.

तुलसी और शालिग्राम विवाह

देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी माता और विष्णु रुप शालिग्राम का विवाह हुआ था. जिन माता पिता की कन्या नहीं है, वो तुलसी और शालिग्राम का विवाह करा कर कन्यादान सुख को प्राप्त कर सकते है.

क्यों है तुलसी पूजन जरूरी

विष्णु को प्रिय होने के कारण तुलसी जी को विष्णुप्रिया कहा जाता है. कार्तिक मास क्योंकि श्रीकृष्ण का प्रिय मास है, इसलिए इस मास में विष्णु प्रिय तुलसी की पूजा और दीपदान जैसे जरुरी कर्म बताए गये है. एक पौधे के रूप में तुलसी औषधीय गुणों की खान होने के साथ धार्मिक दृष्टि से भी अधिक महत्व रखता है. तुलसी की जड़ में सभी देवी देवताओं का वास माना गया है. इस महीने सभी देवी देवता तुलसी की जड़ो में विराजमान हो जाते हैं. जो मनुष्य कार्तिक मास में तुलसी दल चढ़ाकर भगवान विष्णु की पूजा करता है, वह एक एक दल पर तुला दान करने का फल पाता है. तुलसी पूजन करने के लिए सही विधान भी जानना जरूरी है, ताकि हम जो भी पूजा करें उसका पूर्ण फल प्राप्त हो सके. कार्तिक मास में तुलसी पूजन करने वाले लोगों को अक्षय पुण्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस पूरे मास सुबह जल्दी उठकर स्नादि से निवृत होकर तुलसी के पास दीपक जलाना चाहिए. जिन माता-पिता की कन्या नहीं है, वो तुलसी और शालिग्राम का विवाह करा कर कन्यादान सुख को प्राप्त कर सकते है

मनोवांछित जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए

जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही है या मनोवांछित वर नहीं मिल रहा है, उन्हें भी निस्वार्थ भाव से तुलसी पूजन के साथ तुलसी पौधे की सेवा करनी चाहिए. प्रयास करें रविवार के दिन तुलसी बिलकुल भी न तोड़े. तुलसी विवाह के दिन माता का लाल चुनरी और शालिग्राम को पीले वस्त्र चढ़ाएं, नैवेद्य और दीपदान से उनका पूजन करें.

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