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Bihar Chunav: ये तीन दिग्गज BJP को जिताएंगे बिहार का दंगल, एक ही बार में बड़ा वोट बैंक आ जाएगा पाले में!

Bihar Chunav 2025: बीजेपी ने बिहार में राजपूत, यादव और पिछड़ा समाज (निषाद वर्ग) के वोट बैंक को साधने के लिए बड़ी योजना बनाई है.

By: Shubahm Srivastava | Published: October 7, 2025 8:07:34 PM IST



BJP Plan For Bihar Election: बिहार चुनाव 2025 की तारीखों के एलान के बाद से सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. हर कोई वोटर्स को अपनी तरफ लाने के लिए नई रणनीति बना रहा है. अब इसी कड़ी में बीजेपी ने भी बड़ा प्लान बनाया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी इस बार अपने तीन दिग्गज सांसदों को मैदान पर उतारने की योजना बना रही है. 

इस योजना से पार्टी राजपूत, यादव और पिछड़ा समाज (निषाद वर्ग) के वोट बैंक निशाने पर है. इससे साफ है कि बीजेपी इस बार सिर्फ अपने स्थानीय नेताओं पर निर्भर नहीं रहना चाहती. 

यादव वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश

सामने आ रही खबरों की माने तो बीजेपी यादव समाज, उत्तर बिहार और मिथिलांचल के वोटरों को साधने के लिए पार्टी अपने दिग्गज सांसद को बिहार चुनाव के मैदान में उतार सकती है. बता दें कि यादव वोट बिहार की राजनीति में काफी अहम है. इनकी आबादी करीब 14.3% है. यह बड़ा वोट बैंक लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ मजबूती से जुड़ा रहा है. इसी वोट बैंक पर बीजेपी सेंध लगाना चाह रही है. 

राजपूत सांसद को मैदान में उतारेगी पार्टी

बिहार में राजपूत मतदाताओं की बात करें तो राज्य में उनका अच्छा-खासा जनाधार है. बिहार में 3.45 प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं, जिन पर हर पार्टी की नज़र है. इसी को देखते हुए, भाजपा बिहार चुनाव में किसी प्रमुख राजपूत सांसद को मैदान में उतार सकती है. पटना, छपरा और सारण समेत बिहार के राजपूत मतदाताओं को एक कड़ा संदेश देने के लिए, भाजपा विधानसभा चुनाव में किसी प्रमुख राजपूत चेहरे को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है.

निषाद वोटर्स के लिए बीजेपी का प्लान

निषाद समुदाय (मल्लाह, बिंद और अन्य मछुआरा जातियां) बिहार की राजनीति में एक उभरती हुई राजनीतिक ताकत है. 2023 की बिहार जाति जनगणना के अनुसार, निषाद समुदाय की आबादी लगभग 5.5% है, जो इसे अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की एक प्रमुख उपजाति बनाता है.

हालांकि, जातिगत आंकड़ों के संदर्भ में मल्लाहों का प्रतिशत 2.6% है, जबकि सभी जल-आधारित व्यवसायों की संयुक्त उप जातियां, जैसे निषाद, मल्लाह, केवट, बिंद और कश्यप, 8 से 9% बताई जाती हैं. निषाद समुदाय और मतदाताओं को लुभाने के लिए, भाजपा विधानसभा चुनाव में एक और सांसद को मैदान में उतार सकती है.

अब देखना ये होगा कि  बीजेपी का ये मास्टरस्टोक बिहार में राजपूत, यादव और पिछड़ा समाज (निषाद वर्ग) को उनके पाले में ला पाएगा. या फिर बिहार की जनता किसी को और के पाले में जाएगी.

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