Sex Survey 2025: भारत में सेक्स संतुष्टि (sex satisfaction) के मामले में हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है. 2025 के Durex ग्लोबल सर्वे के अनुसार, भारत में 76% कपल्स अपनी सेक्शुअल लाइफ (sexual life) से खुश हैं. यह आंकड़ा फिलीपींस, मैक्सिको, कोलंबिया और साउथ अफ्रीका (70% प्रत्येक) को पीछे छोड़ता है.
सर्वे के मुताबिक, भारत में भले ही लोग इस टॉपिक पर खुलकर बात करने में संकोच करते हैं, फिर भी उनके रिश्तों में संतुष्टि की अच्छी दर है. इस साल के सर्वे का थीम था ‘Sexual Justice: What Can We Do?’, जिसका मकसद सेक्शुअल हेल्थ के बारे में जागरूकता बढ़ाना और खुलकर बातचीत को बढ़ावा देना है.
सेक्स एजुकेशन जरूरी
इतिहास में देखें तो भारत हमेशा सेक्शुअलिटी को जीवन का प्राकृतिक हिस्सा मानता रहा है. कामसूत्र और खजुराहो के मंदिर इसकी मिसाल हैं. लेकिन, सामाजिक रूढ़िवाद और ग्रामीण क्षेत्रों में फैले मिथक आज भी खुलकर बात करने में बाधा डालते हैं. इस वजह से एक्सपर्ट्स स्कूलों में सही सेक्स एजुकेशन की जरूरत पर जोर देते हैं.
क्या कहती हैं WHO की रिपोर्ट
WHO के अनुसार, सेक्शुअल हेल्थ सिर्फ बीमारी से दूर रहने का नाम नहीं है. यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक भलाई का हिस्सा है. इसमें संतुष्टि, सुरक्षित प्रैक्टिस और अधिकार शामिल हैं. सर्वे में सामने आया कि पुरुष ज़्यादातर फिजिकल सेटिस्फैक्शन को अहमियत देते हैं, जबकि महिलाएं इमोशनल कनेक्शन और रिलेशनशिप की क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान देती हैं. दुनिया में महिलाओं का सेक्शुअल हेल्थ अक्सर सामाजिक दबाव, हिंसा और जानकारी की कमी के कारण पीछे रह जाता है.
शरीर पर क्या असर डालता है मास्टरबेशन
उडुपी के मनोचिकित्सक डॉ पीवी भंडारी बताते हैं कि कई लोग यौन समस्याओं के लिए डॉक्टर से सलाह लेने के बजाय गलत स्रोतों की ओर जाते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है. वे कहते हैं कि जैसे धातु सिंड्रोम या मास्टरबेशन से कमजोरी जैसी बातें पूरी तरह गलत हैं. सामान्य समस्याएं, जैसे नए कपल्स में premature ejaculation, अस्थायी होती हैं और सही इलाज से ठीक हो जाती हैं.