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जापानी रेस्टोरेंट में टिप देने पर क्या होता है? जानिए इसके पीछे की असली सच्चाई

जापान में सेवा को “कर्तव्य” समझा जाता है, इनाम नहीं.इस सोच को जापानी भाषा में “ओमोतेनाशी” कहा जाता है, जिसका मतलब है . दिल से सेवा करना. यानी ग्राहक की देखभाल ही सबसे बड़ा इनाम है. इसलिए जब कोई व्यक्ति ज्यादा पैसे यानी टिप देने की कोशिश करता है, तो बहुत से जापानी कर्मचारी इसे मना कर देते हैं या शालीनता से ठुकरा देते हैं.

By: Komal Singh | Last Updated: October 5, 2025 6:29:19 AM IST



जापान दुनिया के सबसे विकसीत और विनम्र देशों में से एक है. यहाँ की साफ-सुथरी सड़को,समय पर चलने वाली ट्रनों और लोगों को देखकर हर कोई सोच में पड़ जाता है. लेकिन जब कोई भी इंसान कही से भी जापान जाता है और किसी रेस्टोरेंट, होटल या टैक्सी में अच्छी सेवा मिलने पर टिप देने की कोशिश करता है,तो उसे हैरानी होती है. क्योंकी आप किसी और देश में जाएंगे किसी होटेल या रेस्टोरेंट में लोग अपनी खुशी के लिए अच्छा काम करने वाले को टिप देते है लेकिन क्यों वहीं चिज जापान में गलत मानी जाती है और वहां के लोगों के नजरों में यह काफी अजीब मानी जाती है.

आखिर क्यों नहीं जापानमें टिप नहीं लिया जाता

जापान में टूरिज्म बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा गै . साल 2025 में यहाँ 2 करोड़ से अधिक लोग विदेश से सिर्फ घूमने के लिए आते है और हम जापान के टूरिस्ट जगाहों के लिए गूगल पर सर्च भी करगें तो जपान दुनीया के सबसे पसंदीदा टूरिस्ट जगाहों में से एक है. लेकिन अगर कोई अपने देश से आता है तो अपनी आदते भी साथ लेकर आता है, जैसे की अगर हम अमेरिका या यूरोप में की बात करे तो कोई अचछा काम करता है तो उसके बाद उसे अच्छा – खासा टिप दिया जाता है और वहीं आदते लोगों की आदत जापान जाने पर भी सेम रहती है, लेकिन जब वे देखते हैं कि जापानी लोग इसे स्वीकार नहीं करते
, तो उन्हें थोड़ा अजीब लगता है. दरअसल, जापान में यह माना जाता है कि ग्राहक ने जितना पैसा सेवा या वस्तु के लिए दिया है, वही काफी है. इसलिए वे समझते है कि टिप देने का मतलब बदल जाता है.

कुछ जगाहों मे बदलाव

लेकिन कुछ सालों में जपाने के कुछ जगाहों मे बदलाव देखा गया है. जहाँ लोग विदेश से आते है, अब वहाँ कुछ कैफे या रेस्टोरेंट ने “टिप जार” रखे हैं. इसका मतलब है कि ग्राहक चाहे तो अपनी इच्छा से थोड़ा पैसा डाल सकते हैं, लेकिन यह किसी भी तरह से मनाई नहीं है. इसके अलावा कुछ लक्जरी होटल और पारंपरिक “र्योकान” में “सर्विस चार्ज” पहले से ही बिल में शामिल कर दिया जाता है. इस तरह ग्राहक को अलग से टिप देने की जरूरत नहीं पड़ती.

क्या है जापान कि टिपिंग कल्चर का राज

जापानी  में ज़्यादातर लोग यह नहीं चाहते कि टिपिंग कल्चर उनके देश में शुरू हो. उनका मानना है कि अगर लोग सेवा के बदले अलग से पैसा देने लगें, तो यह सौदेबाजी जैसा लगने लगेगा और जो काम कर रहा है उसकी असली भावना खो जाएगी, क्योंकि तब लोग पैसा देखकर व्यवहार करने लगेंगे, न कि दिल से. बहुत से लोग यह भी सवाल उठाते हैं कि अगर टिप देना आम हो गया, तो क्या यह पैसा कर्मचारियों तक पहुँचेगा या मालिक रख लेंगे? इन सब कारणों से जापान में टिप देना आज भी एक “टैबू” यानी मना की गई आदत मानी जाती है.

 

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