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महात्मा गांधी के दो सबसे बड़े अफसोस, एक का परिवार से तो दूसरे का है पाकिस्तान से कनेक्शन

Gandhi Jayanti 2025: हरिलाल ने अपना नाम अब्दुल्ला गांधी रखा और जब यह खबर उनके पिता महात्मा गांधी तक पहुंची तो उन्होंने उनके इस फैसले को स्वीकार कर लिया.

By: Divyanshi Singh | Last Updated: October 2, 2025 10:41:27 AM IST



Gandhi Jayanti 2025: हर वर्ष 2अक्टूबर को भारतवासी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाते हैं. मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर गुजरात में हुआ था. महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ भारत की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी.

चाहे हम गांधी जी के अहिंसक प्रतिरोध की बात करें प्रतिष्ठित दांडी नमक मार्च या भारत छोड़ो आंदोलन की, महात्मा गांधी ने वास्तव में भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर एक अमिट छाप छोड़ी.भारत की आजादी की लड़ाई में उनके अपार योगदान के कारण उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में याद किया जाता है.

महात्मा गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ था जब नाथूराम गोडसे ने उन पर गोलियां चलाकर उनकी हत्या कर दी थी. महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी ने भी अपने पति की तरह स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

13 साल की उम्र में हुआ विवाह

मई 1883 में जब महात्मा गांधी बहुत छोटे थे तब उनका विवाह हो गया था. तब महात्मा गांधी केवल 13 वर्ष के थे और कस्तूरबा 14 वर्ष की थीं.1886 में वे पहली बार माता-पिता बने लेकिन दुर्भाग्य से उनका बच्चा जीवित नहीं रह सका और कुछ दिनों बाद ही उसकी मृत्यु हो गई. इसके बाद गांधी और कस्तूरबा गांधी के चार पुत्र हुए. महात्मा गांधी 1888 में पिता बने उनके सबसे बड़े बच्चे का नाम हरिलाल था. इसके बाद 1892 में गांधी जी के दूसरे बच्चे मणिलाल का जन्म हुआ.1897 में गांधी जी के तीसरे बच्चे राम दास और1900 में चौथे बच्चे देवदास का जन्म हुआ.

महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए स्वतंत्रता आंदोलनों और उनके द्वारा लिए गए कुछ विवादास्पद फैसलों को तो हर कोई जानता है लेकिन भारत को आजाद करवाने के लिए बापू ने जो कीमत चुकाई शायद ही कोई उसे याद करता हो. आज हम महात्मा गांधी और उनके सबसे बड़े बेटे हरिलाल के बीच के तनावपूर्ण रिश्ते के बारे में बात करेंगे.

बच्चे के जन्म के कुछ ही दिन बाद चले गए बाहर

हरिलाल के जन्म लेने के कुछ महीनों के अंदर गांधी कानून की पढ़ाई करने के लिए अपने परिवार को छोड़कर लंदन चले गए. उस समय उनकी उम्र 18 साल थी और उनका पहला बेटा हरिलाल सिर्फ़ छह महीने का था. अपने बेटे के बड़े होने के दौरान वह लंदन में रहे.इस बीच गांधी की कमी उनके परिवार और उनके सबसे बड़े बेटे हरिलाल ने भी महसूस की. जब गांधी बैरिस्टर बनकर दक्षिण अफ्रीका लौटे तो वे बहुत सफल और अमीर थे.

प्रसिद्ध इतिहासकार और महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी द्वारा लिखित पुस्तक ‘गांधी द मैन हिज पीपल एंड द एम्पायर’ में लिखा कि हरिलाल महात्मा गांधी के इकलौते पुत्र थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना सब कुछ त्यागने से पहले एक अच्छा और आर्थिक रूप से स्थिर जीवन देखा और जिया था.

 जब महात्मा गांधी ने अपनी पत्नी कस्तूरबा और अपने चार बेटों को ब्रह्मचर्य और गरीबी का व्रत लेने के अपने फैसले के बारे में बताया तो उनके सबसे बड़े बेटे हरिलाल को गहरा सदमा लगा क्योंकि वे अपने पिता के इतना कुछ होने के बावजूद लगभग भिखारियों की तरह गरीबी में जीने के फैसले को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे. कहा जाता है कि यहीं से महात्मा गांधी और हरिलाल के बीच दूरियां बढ़ने लगीं.

हरिलाल अपने पिता की तरह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे लेकिन जो हुआ वह उन्हें बहुत अप्रिय लगा. गांधी की जीवनी ‘गांधी एन इलस्ट्रेटेड बायोग्राफ़ी’ में प्रमोद कपूर ने लिखा है कि गांधी जी अपने बेटे और भतीजे को समान देखते थे. उनको पढ़ने के लिए गांधी ने कुछ ऐसा किया जिसे जान हर कोई दंग रह गया. गांधी जी ने एक रुपए के सिक्के को घर में छिपा दिया इसके बाद उन्होने कहा कि जो सिक्का खोजेगा वो पढ़ने के लिए बाहर जाएगा.गोकुलदास ने वो सिक्का खोज निकाला. गांधी जी ने ऐसा दोबारा किया. जिससे हरिलाला को बहुत बूरा लागा. इसके बाद गांधी जी ने अपने एक और तीजे छगनलाल को उच्च शिक्षा के लिए लंदन भेजने का फ़ैसला किया.छगनलाल जब  बीमार होने कि वजह से पढ़ाई को बीच में छोड़कर घर लौट आएं तो गांधी जी ने उनकी जगह लंदन पढ़ने जाने के लिए निबंध प्रतियोगिता करवाई और पारसी युवा सोराबजी अदाजानिया का निबंध अव्वल रहा और उन्हें लंदन भेज दिया गया. इससे हरिलाल के मन पर हहुत बुरा प्रभाव पड़ा और उनके मन में गांधी जी के लिए एक गांठ पैदा हो गई. 

महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी ने उनके इस फैसले पर शिकायत की और उनसे कहा आप मेरे बेटों को पुरुष होने से पहले ही संत बना देना चाहते हैं हालांकि गांधी अपनी बात पर अड़े रहे और कहा कि उन्हें और उनके परिवार को उस नए भारत का आदर्श प्रतीक बनना चाहिए जिसका वे निर्माण कर रहे थे. निस्संदेह महात्मा गांधी के इरादे नेक थे, लेकिन हरिलाल अपने पिता की धार्मिकता का दबाव नहीं झेल पाए. इसलिए उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाने का फैसला किया. महात्मा गांधी के सबसे बड़े बेटे, हरिलाल ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद इस्लाम धर्म अपना लिया.

अपने पिता की तरह बैरिस्टर बनने के सपने को त्यागकर हरिलाल सामान्य वेतन वाली नौकरी करते हैं.बाद के वर्षों में, उनका विवाह गुलाब नाम की एक महिला से हुआ लेकिन दुर्भाग्य से 1918 में इन्फ्लूएंजा महामारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई. एक ओर जहां हरिलाल एक स्थायी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे वहीं उनकी पत्नी की मृत्यु ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया. चंदूलाल भगुभाई दलाल द्वारा लिखित हरिलाल गांधी की जीवनी “हरिलाल गांधी अ लाइफ” के अनुसार महात्मा गांधी अपने बेटे के कष्टमय जीवन से अवगत थे लेकिन उन्होंने अपने बेटे के नाम का इस्तेमाल उसे एक स्थायी नौकरी दिलाने के लिए कभी नहीं किया क्योंकि वह सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति थे. जल्द ही, हरिलाल शराब की लत में पड़ गए और अपने आत्मघाती व्यवहार के कारण अपने बच्चों से दूर हो गए.

महात्मा गांधी की प्रतिक्रिया

हरिलाल ने अपना नाम अब्दुल्ला गांधी रखा और जब यह खबर उनके पिता महात्मा गांधी तक पहुंची तो उन्होंने उनके इस फैसले को स्वीकार कर लिया. गांधी ने अपने बेटे से कहा कि उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि उनके बेटे ने इस्लाम धर्म अपना लिया है क्योंकि उनकी नज़र में सभी धर्म एक जैसे हैं. हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर हरिलाल के इस्लाम धर्म अपनाने के पीछे का मकसद कई शादियां करना है तो वे उससे बेहद निराश हैं.

स्वतंत्रता सेनानी हरिलाल और उनके पिता महात्मा गांधी के बीच जो कुछ भी हुआ था उसके बावजूद जब उनकी हत्या हुई तो उनके बेटे उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने आए. हर कोई उन्हें पहचान नहीं पाया था और चंदूलाल भागूभाई दलाल द्वारा लिखित हरिलाल गांधी की जीवनी “हरिलाल गांधी: अ लाइफ” के अनुसार महात्मा गांधी की मृत्यु के कुछ महीनों बाद 18 जून 1948 को हरिलाल का निधन हो गया. एक पुराने साक्षात्कार में महात्मा गांधी ने कहा था कि उनके जीवन का सबसे बड़ा अफ़सोस यह है कि वे दो लोगों को अपनी बात मनवाने में असमर्थ रहे पहले मुहम्मद अली जिन्ना और दूसरे उनके बेटे हरिलाल. 

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