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पंडित छन्नूलाल मिश्र का PM Modi से क्या था खास कनेक्शन? संगीत में बनारसी रंग घोलने वाले उस्ताद का हुआ निधन

Chhanulal Mishra: संगीत की दुनिया के उस्ताद छन्नूलाल मिश्र का आज सुबह 5 बजे निधन होगा। संगीत की दुनिया को पहचान देने में इन्होने एक अहम भूमिका निभाई थी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी इनका एक खास रिश्ता है.

By: Heena Khan | Last Updated: October 2, 2025 1:27:56 PM IST



RIP Chhanulal Mishra: प्रख्यात शास्त्रीय गायक और पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र ने दुनिया को अलविदा कह दिया. गुरुवार (02 अक्टूबर, 2025) को सुबह 4 बजे उनका निधन हो गया. पंडित छन्नूलाल मिश्र को पिछले शनिवार को दिल का दौरा पड़ा था. तबीयत बिगड़ने पर परिजन ने उन्हें पहले मिर्जापुर के ओझला स्थित रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम अस्पताल में भर्ती कराया था. इसके बाद रविवार को उन्हें बीएचयू में भर्ती कराया गया.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि छन्नूलाल मिश्र लंबे समय से बीमार थे. उनकी पीठ पर घाव थे और उन्हें खून की कमी भी थी. केबी कॉलेज में कार्यरत उनकी बेटी प्रोफेसर नम्रता मिश्रा ने इस बात की जानकारी दी कि उनके पिता को दिल का दौरा पड़ने के बाद डॉक्टरों ने उनकी जांच की और दो यूनिट खून चढ़ाया. गुरुवार सुबह उनकी बेटी नम्रता ने बताया कि उनके पिता का निधन हो गया. इस स्टोरी में हम आपको पंडित छन्नूलाल मिश्र से जुड़े कुछ ऐसे किस्से बताएंगे जिन्हें सुनकर आप उनके दीवाने हो जाएंगे.

बनारस घराने की सुरमयी परंपरा के अमर गायक

भारतीय संगीत की दुनिया में कई सुर साधक फूल खिले, लेकिन कुछ फूल ऐसे भी रहे, जिन्होंने अपनी गायकी से इस परंपरा को अलग पहचान दी है. इन अनमोल खजाने में से ही एक आवाज पंडित छन्नूलाल मिश्र की है. वह एक महान गायक थे. इनका नाम बनारस घराने की गौरवशाली विरासत में दर्ज है.  संगीत की दुनिया में उनका एक अलग ही रुतबा हुआ करता था. 

कैसे की संगीत की शुरुआत 

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था. बताया जाता है कि यह गांव अपने आप में संगीत परंपरा का केंद्र रहा है. ये संगीत जीवन का अनमोल हिस्सा माना जाता था. खास बात तो ये है कि इनके पिता बद्री प्रसाद मिश्र खुद एक संगीतज्ञ थे, जिन्होंने सबसे पहले छन्नूलाल को संगीत सिखाया और उन्हें एक नई उम्मीद दी. छन्नूलाल मिश्र बचपन से ही सुरों की ओर आकर्षित थे. दिलचस्प बात है कि छन्नूलाल मिश्र ने अपनी साधना को हमेशा जारी रखा. बाद में उन्होंने पंडित अनोखेलाल मिश्र (जो तबला के महान उस्ताद थे) के साथ आठ कई गुरुओं से संगीत की शिक्षा ली.

इनकी गायकी से जुड़ी कुछ खास बातें

पंडित छन्नूलाल मिश्र की गायकी की सबसे खास बात यह है कि इसमें भाव, राग और भक्ति का एक संगम देखने को मिलता है. वोसिर्फ एक कुशल शास्त्रीय गायक हैं, बल्कि ठुमरी, कजरी, होरी, चैती और भजन भी गाया करते थे, आज हर गली हर मोहल्ले में उनकी आवाज गूंजती है. लेकिन अफ़सोस वो अब हमारे बीच नहीं रहें. उनकी आवाज़ में बनारसी रंग, सहजता और गहराई थी. उनकी आवाज आपके मन को सीधा छूने का जज़्बा रखती थी. उनका मानना था कि संगीत केवल कला नहीं, बल्कि साधना है, और यही वजह थी जो उनके हर एक गीत में भाव झलकते थे.

सम्मान और उपलब्धियां

पंडित छन्नूलाल मिश्र को भारतीय संगीत में उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण (2010) और फिर पद्म विभूषण (2020) जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाज़ा गया. ये सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि हैं, बल्कि बनारस घराने और भारतीय संगीत परंपरा की भी मान्यता हैं.इसके अलावा, उन्होंने देश-विदेश में अनगिनत संगीत समारोहों में भाग लिया और भारतीय संस्कृति का परचम लहराया. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उनके जीवन और साधना पर आधारित एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है.“संगीत संत पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र”. जिसे उनकी बेटी नम्रता मिश्रा ने लिखा है. यह पुस्तक उनके जीवन की प्रेरणादायक यात्रा को सामने लाती है, जिसमें संघर्ष, साधना और सफलता है. 

PM Modi से खास कनेक्शन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी उनका एक अलग और खास रिश्ता था. आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों. तो हम आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से नामांकन दाखिल करने आए थे, तो छन्नूलाल मिश्र उनके प्रस्तावक बने थे. 

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