Maa Siddhidhatri: शारदीय नवरात्रि का नवां दिन महानवमी कहलाता है और इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है. मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं. वे भक्तों के भय, कष्ट और बाधाओं का नाश कर उन्हें सुख, शांति और समृद्धि का वरदान देती हैं. मान्यता है कि महानवमी पर विधिपूर्वक मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और भक्ति से साधक को अद्भुत आत्मबल प्राप्त होता है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
महानवमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर के पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें. मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के समक्ष कलश स्थापना करें और उस पर लाल चुनरी, पुष्प और अक्षत अर्पित करें. मां सिद्धिदात्री को लाल या गुलाबी फूल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है. धूप-दीप प्रज्वलित कर देवी को भोग लगाएं और विधिपूर्वक मंत्रों का जप करें. साथ ही इस दिन कन्या पूजन और भोग के रूप में बालिकाओं को भोजन कराना भी बेहद शुभ माना जाता है.
मां सिद्धिदात्री का मंत्र
महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है–
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नमः.
इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करने से भक्तों को आत्मविश्वास, सिद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है.
मां सिद्धिदात्री का भोग
पूजा के समय मां सिद्धिदात्री को नारियल, चना, पूड़ी-हलवा और मौसमी फल अर्पित करने की परंपरा है. नारियल और हलवा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह मां को अत्यंत प्रिय है. भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद स्वरूप परिवार और कन्याओं को वितरित करना चाहिए.
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महत्व और लाभ
महानवमी का दिन नवरात्रि का सबसे पावन दिन माना जाता है. इस दिन की गई पूजा से भक्त को अष्टसिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद मिलता है. माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा से साधक के जीवन से हर प्रकार का भय समाप्त हो जाता है और जीवन में नई ऊर्जा और आत्मबल का संचार होता है. इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है, क्योंकि इसमें मां दुर्गा का स्वरूप कन्याओं में पूजित होता है.
अतः शारदीय नवरात्रि 2025 की महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मंत्र और भोग के साथ श्रद्धापूर्वक आराधना करने से जीवन में सुख, शांति, सिद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.