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इस देश ने लॉरेंस बिश्नोई गैंग पर लिया बड़ा एक्शन, गिरोह को किया आतंकवादी संगठन घोषित

Lawrence Bishnoi Gang News: कनाडा ने लॉरेंस बिश्नोई गेंग को किया आतंकवादी संगठन घोषित. प्रेस रिलीज जारी कर दी जानकारी.

By: Shubahm Srivastava | Last Updated: September 29, 2025 9:43:06 PM IST



Canada On Bishnoi Gang: कनाडा की नई सरकार ने लॉरेंस बिश्नोई (Bishnoi Gang) गेंग को लेकर बड़ा कदम उठाया है. वहां पर कंजर्वेटिव और एनडीपी नेताओं की मांग के बाद लॉरेंस बिश्नोई गेंग को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया गया है. कनाडा सरकार की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि, “हिंसा और आतंक के कृत्यों के लिए कनाडा में कोई जगह नहीं है, खासकर उन कृत्यों के लिए जो भय और धमकी का माहौल बनाने के लिए विशिष्ट समुदायों को निशाना बनाते हैं। 

इसीलिए, जन ​​सुरक्षा मंत्री, माननीय गैरी आनंदसांगरी ने आज घोषणा की कि कनाडा सरकार ने बिश्नोई गिरोह को आपराधिक संहिता के तहत एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है।”

बिश्नोई गैंग पर बड़ा एक्शन

प्रेस रिलीज में बताया गया है कि ‘अब सूचीबद्ध संगठन के रूप में, बिश्नोई गैंग कनाडा की आपराधिक संहिता के तहत एक ‘आतंकवादी समूह’ की परिभाषा को पूरा करता है। आतंकवादी सूची में शामिल होने का मतलब है कि कनाडा में उस समूह के स्वामित्व वाली कोई भी चीज, संपत्ति, वाहन, धन, जब्त किया जा सकता है और इससे कनाडा के कानून प्रवर्तन को वित्तपोषण, यात्रा और भर्ती से संबंधित आतंकवादी अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए और अधिक साधन मिलते हैं।’

कनाडा की सरकार की तरफ से कहा गया है कि ‘कनाडा में किसी भी व्यक्ति या विदेश में रहने वाले कनाडाई लोगों के लिए जानबूझकर किसी आतंकवादी समूह के स्वामित्व वाली या नियंत्रित संपत्ति का लेन-देन करना एक आपराधिक अपराध है। यह जानते हुए भी कि इसका इस्तेमाल किसी आतंकवादी समूह द्वारा किया जाएगा या उसे लाभ पहुँचाया जाएगा, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपत्ति प्रदान करना भी एक अपराध है।

आपराधिक संहिता सूची का उपयोग आव्रजन और सीमा अधिकारियों द्वारा आव्रजन और शरणार्थी संरक्षण अधिनियम के तहत कनाडा में प्रवेश संबंधी निर्णयों को सूचित करने के लिए भी किया जा सकता है।’

बिश्नोई गैंग का इस्तेमाल कर रहा भारत – कनाडाई पुलिस

याद दिला दें कि पिछले साल की शुरुआत में, कनाडाई पुलिस ने भारत पर बिश्नोई गिरोह का इस्तेमाल कनाडाई नागरिकों, खासकर खालिस्तान समर्थकों को निशाना बनाकर हत्याएं और जबरन वसूली की वारदातों को अंजाम देने के लिए करने का आरोप लगाया था. हालांकि उनके पास इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत मौजूद नहीं था. 

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