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तलवार और शेरवानी से मशहूर हुई मुगल दौर की रहस्यमयी रानी की दिल दहलाने वाली दास्ता

मुगल साम्राज्य मध्यकालीन भारत की ऐसी अवधि थी जहाँ शाही जीवन सिर्फ ठाठ-बाट का नहीं, बल्कि शक्ति, राजनीति और कला का मिश्रण भी था.

By: Komal Singh | Published: September 26, 2025 12:50:56 PM IST



मुगल साम्राज्य मध्यकालीन भारत की ऐसी अवधि थी जहाँ शाही जीवन सिर्फ ठाठ-बाट का नहीं, बल्कि शक्ति, राजनीति और कला का मिश्रण भी था. आमतौर पर हरम, रानियाँ, पैलेस की छोड़ी हुई दुनिया समझी जाती है,लेकिन इतिहास कहता है कि वहाँ कई स्त्रियाँ थीं जिन्होंने पारंपरिक मर्यादाओं को चुनौती दी. कुछ ने युद्ध में भाग लिया, कुछ ने प्रशासन संभाला, और कुछ ने अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रतिष्ठित किया.

महिलाओं का हरम में सक्रिय भाग

मुगल हरम सिर्फ आराम या विलासिता का स्थान नहीं था; इसमें महिलाएँ कई तरह से शामिल थीं. नर्तकियाँ, गायिकाएँ, सजावटी काम करने वाले लोककलाकार, और कभी-कभी मामलों की योजना या राज्य प्रशासन में भी सलाहकार. यह कहा जाता है कि कुछ हरम की महिलाएँ अपनी क्षमता के अनुरूप हथियारों का ज्ञान रखती थीं या आत्मरक्षा जा सकती थीं.

पेशवाज रानियों का पहनावा?

पेशवाजमुग़ल दरबार की एक पोशाक थी, जो महिलाओं द्वारा भी पहनी जाती थी, विशेषकर दरबारी रंग-ढंग और सजावटी काम के साथ. यह लंबी गाउन-टाइप वस्त्र होती थी, सामने खुलने वाली होती थी, कमर से बँधी होती थी, और अक्सर महीन मसलिन या ज़री तथा फीती के काम से सजी होती थी. इस तरह के कपड़े में कभी-कभी ऐसा अंदाज़ होता होगा कि पहनने वाली स्त्री पारंपरिक मेल कोटजैसा दिखे, लेकिन तलवार या लड़ाकू भूमिका की पुष्टि नहीं हुई.

 

गियास-उद-दीन खिलजी के हरम की कहानी

मध्य भारत के मलवा के शासक गियास-उद-दीन खिलजी की हरम के बारे में इतिहासकारों ने लिखा है कि वहाँ कुछ महिलाएँ ऐसी थीं. ये महिलाएँ सिर्फ सजावट की वस्तुएँ नहीं थीं, बल्कि युद्ध कला, युद्ध कौशल, और आत्मरक्षा में प्रशिक्षित थीं . यह उदाहरण इतिहास में मिलती है कि हरम की महिलाओं ने पारंपरिक भूमिकाओं से ऊपर उठकर सक्रिय भूमिका निभाई.

 

 सीमाएँ और ऐतिहासिक प्रमाण की कमी

 इतिहास के दस्तावेज़ों में अक्सर महिलाओं के नाम, उनके व्यक्तिगत शौर्य की कहानियाँ और सबूत धुंधले मिलते हैं. शेरवानी पहनने वाली रानीजैसी कहानियाँ लोक-कथाओं या बाद के लेखों से जोड़कर बताई जाती हैं, लेकिन मूल स्रोतों में ऐसी घटना की पुष्टि कम है. एक ऐसी कहानी हो सकती है कि किसी रानी ने झूठी पहचान में पुरुषों जैसा पहनावा धारण कर सुरक्षा हेतु काम किया हो, लेकिन यह कहना कि वह नियमित रूप से शेरवानी पहनती और तलवार रखती थी .इस तरह का कोई विश्वसनीय ऐतिहासिक दस्तावेज सामने नहीं मिला.

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