Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि की तिथि को लेकर इस बार लोगों के मन में बहुत कंफ्यूजन है. तो आज आपकी इसी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि आज नवरात्रि की कौन-सी तिथि है और क्यों?
इस बार 9 नहीं बल्कि 10 दिन की नवरात्रि मनाई जाएगी. क्योंकि एक खास संयोग के चलते 24 और 25 सितंबर को नवरात्रि की तृतीया तिथि थी और आज 26 सितंबर को नवरात्रि की चतुर्थी तिथि के रूप में मनाया जाएगा. नवरात्र की चतुर्थी तिथि मां कूष्मांडा को समर्पित है. इस दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. इनकी पूजा करने से सारे रोगों से मुक्ति मिलती है. तो आइए जानते हैं कि आप कैसे मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं?
मां का नाम कूष्मांडा कैसे पड़ा?
देवी कूष्मांडा को मां दुर्गा का चौथा स्वरूप माना गया है. देवी भागवत पुराण में उनकी महिला का वर्णन है. माना जाता है कि मां कूष्मांडा देवी की मुस्कान से ही सृष्टि के अंधकार को मां ने दूर किया था.
मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां कूष्मांडा शेर की सवारी करती हैं.उनकी आठ भुजाएं हैं.उनकी आठ भुजाओं में अस्त्र हैं.उनकी भुजाओं में कमल, कलश, कमंडल, और सुदर्शन चक्र पकड़ा हुआ है.मां का यह स्वरुर उन्हें जीवन दान देती हैं.मां कुष्मांडा का रुप बहुत ही आलौकिक और दिव्य है।
मां कूष्मांडा की पूजा कैसे करें?
मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें फिर पूजास्थल को गंगाजल से शुद्ध करें. लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. फिर मां कूष्मांडा की प्रतिमा स्थापित करें या मां को गंगाजल से स्नान करके फिर स्थापित करें. मां कूष्मांडा को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं, पीले फूल और पीले रंग की मिठाई भी चढ़ाए और मां कूष्मांडा से अपने आरोग्य जीवन की कामना करें.
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मां कूष्मांडा का भोग
मां कूष्मांडा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है. इसलिए मां को पीले रंग की मिठाई चढ़ाने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. अगर आप सभी रोगों से मुक्ति चाहते हैं तो आपको मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए.