PM Shehbaz Sharif UNGA Meeting: पाकिस्तानी सरकार में पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर (Pak Army Chief) की सहभागिता बढ़ती जा रही है. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कई मौकों पर ऐसा देखा जा रहा है. दरअसल, सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हुए रक्षा समझौते (Pakistan Saudi Arabia Defense Pact) के दौरान भी आसिम मुनीर मौजूद थे. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (PM Shehbaz Sharif) के विदेश दौरे के दौरान भी आसिम मुनीर साये की तरह उनके साथ मौजूद थे. पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर की हालिया बढ़ी हुई डिप्लोमैटिक गतिविधियां इस सवाल को और गहरा कर रही हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ? (What do the experts say?)
इस पूरे मामले पर विशेषज्ञों का मानना है कि यह महज औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है, जिसके जरिए सेना सरकार पर अपनी पकड़ और मजबूत कर रही है. चुनी हुई सरकार के प्रमुख प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ लगातार वैश्विक मंचों पर मिलिट्री नेतृत्व को आगे ला रहे हैं. हाल की विदेश यात्राओं के दौरान शरीफ के साथ मुनीर की मौजूदगी से साफ है कि पाकिस्तानी राजनीति में सेना की साख और प्रभाव अब सिविलियन नेतृत्व से कहीं ज्यादा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति का नया चेहरा है, जहां सिविलियन सरकार की भूमिका कम हो रही है और सेना का दबदबा बढ़ रहा है.
पाकिस्तान में बढ़ी सेना की दखल (Increased military involvement in Pakistan)
इसे शरीफ की कमजोरी और सेना की महत्वाकांक्षाओं का नतीजा भी माना जा रहा है, जिसमें विदेश नीति से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक हर मुद्दे पर सेना की दखल बढ़ती हुई नजर आ रही है. 17 सितंबर को शुरू हुई शरीफ की विदेश यात्रा में सऊदी अरब, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल थे. इस यात्रा के दौरान आर्मी चीफ मुनीर हर जगह शरीफ के साथ थे. रियाद में दोनों ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Crown Prince Mohammad Bin Salman) से मुलाकात की और एक नया रक्षा समझौता किया, जिसके तहत एक देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा. यह समझौता पाकिस्तानी विदेश नीति में सेना की प्रत्यक्ष भूमिका का प्रमाण है.
शहबाज के साथ विदेश दौरे पर जा रहे आसिम मुनीर (Asim Munir will be accompanying Shahbaz on his foreign trip)
22 से 26 सितंबर तक अमेरिका की यात्रा के दौरान शरीफ के साथ मुनीर की मौजूदगी और भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और कुछ चुनिंदा मुस्लिम देशों के नेताओं के साथ होने वाली बैठक में मुनीर की भागीदारी ने उनकी वैश्विक साख को और मजबूत कर दिया है. जून में ट्रंप ने मुनीर को व्हाइट हाउस में सीधे मिलने के लिए आमंत्रित किया था. विश्लेषकों के अनुसार, यह पाकिस्तानी सेना प्रमुख के लिए एक असाधारण घटना थी और इसने उनके प्रभाव को राजनीतिक क्षेत्र तक बढ़ा दिया. पाकिस्तान की विदेश नीति सेना के हाथ में है.
पाकिस्तान की विदेश नीति में बढ़ रही सेना की सहभागिता (increasing role of the military in Pakistan’s foreign policy)
चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान भी पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ थे और उन्होंने राष्ट्रपति शी जिनपिंग (China President Xi Jinping) से मुलाकात की. वहां भी चर्चा रक्षा मामलों से आगे बढ़कर राजनीतिक और रणनीतिक मुद्दों पर हुई, जिससे यह धारणा और मजबूत हुई कि पाकिस्तान की विदेश नीति अब सेना के नियंत्रण में है.
वास्तव में, हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर शरीफ के साथ मुनीर की मौजूदगी यह संदेश देती है कि पाकिस्तान की विदेश नीति और डिप्लोमैटिक दिशा तय करने में सेना का अंतिम शब्द होता है. यह चलन न केवल पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित करता है, बल्कि घरेलू राजनीति में यह धारणा भी मजबूत करता है कि असली सत्ता नागरिक सरकार के हाथ में नहीं, बल्कि सेना के हाथ में है.
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