Dashanan Mandir: रावण का जिक्र रामायण में देखने को मिल जाता है. रावण की बुरी हरकतों के कारण ये एक नकारात्मक पात्र था. पर आपको जानकर हैरानी होगी की उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर में एक ऐसा मंदिर मौजूद है जहां पर दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है और उसकी नकारात्मकता को भूलते हुए उसकी अच्छाईयों की वजह से उसकी पूजा की जाती है.
रावण को महान विद्वान की उपाधि दी गई थी. वो दिमाग से बहुत ही तेज था और वह जाति से ब्राह्मण था जिस कारण उसे काफी बुद्धि विवेक वाला माना जाता था. वो भगवान शिव का भक्त भी था. भगवान शिव की आराधना में रावण लीन रहता था और उनका नाम जप किया करता था. लंकापति रावण का यह मंदिर उत्तर भारत के कानपुर शहर में स्थित है. जहां साल में एक बार मंदिर के पट खुलते हैं बाकी साल के 364 दिन ये मंदिर बंद रहता है. रावण की पूजा करने से बुद्धि का वरदान मांगने यहां श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर को रावण दहन के दिन सुबह 7 बजे खोला जाता है, जहां स्थानीय लोग अंतिम संस्कार की परंपरा को निभाते हैं और ठीक उसी रात करीब 8 बजे मंदिर के पट फिर से एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं.
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दशानन मंदिर से जुड़ी कुछ बातें:
- रावण के दस सिर थे इसलिए इस मंदिर का नाम दशानन मंदिर है. ये मंदिर कानपुर शहर के शिवाला कैलाश मंदिर परिसर फूल मंडी के पास स्थित है.
- मंदिर का निर्माण लगभग 1868 में महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल द्वारा कराया गया था.
- इस मंदिर में रावण की 5 फुट की ऊचांई की प्रतिमा है.
- मंदिर साल में सिर्फ एक दिन खुलता है — विजयदशमी (दशहरा) के दिन. उस दिन भक्त रावण की पूजा, आरती, श्रृंगार आदि करते हैं. शाम को जब रावण पुतले का दहन होता है, उसके बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है.