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सूर्य को ग्रहण तो लग रहा है, पर असली में कब होगा इसका अंत

Sun die: साल 2025 में सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को रात 11 बजे से 3 बजकर 33 मिनट पर लगने वाला है. इसका असर भारत में तो नहीं होगा. आपने ग्रहण की बात तो सुनी है पर कई बार आपके मन में ख्याल आता होगा कि क्या सूर्य का अंत हो सकता है या नहीं? तो आइए जानते हैं कि इस बारे में वैज्ञानिकों की क्या राय है?

By: Shivi Bajpai | Published: September 19, 2025 2:53:04 PM IST



End of Sun:  साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को रात 11 बजे से 3 बजकर 33 मिनट तक लगने वाला है. हालांकि इसका असर भारत में नहीं दिखेगा. पर क्या आपके मन में ये ख्याल आता है कि अगर मनुष्य, पेड़-पौधों और जानवरों की मृत्यु हो सकती है तो उसी तरह धरती, प्रकृति, चांद-सितारे, सूरज भी क्या कभी खत्म हो सकते हैं? तो आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि क्या सूर्य का अंत हो सकता है. अगर, हां तो ऐसा कब होगा और इसके पीछे की क्या वजह है?  सूर्य हमारी ऊर्जा और जीवन का प्राथमिक स्त्रोत है. ये विशाल तारा धरती पर प्रकाश फैलाता है. ये जीवन के निर्माण और उसे बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार है. अगर सूर्य नहीं होगा तो हमारा इस धरती पर अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.

कई वर्षों पहले वैज्ञानिकों द्वारा की गई भविष्यवाणी में पाया गया कि जलते हुए प्लाज्मा का गोला अंतत: जलकर नष्ट हो जाएगा और जब ऐसा होगा तो पृथ्वी और इस पर मौजूद सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे और मनुष्य भी खत्म हो जाएंगे. नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित नए शोध में सूर्य के समाप्त होने की समयसीमा का अनुमान लगाया गया है.

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सूर्य का अंत कब होगा?

संसार में मौजूद सभी वस्तुओं का अंत होना निश्चित है. उनमें से एक है सूर्य जिसका भी जीवन काल होता है. वैज्ञानिक लंबे समय तक इस पर शोध करते आ रहे हैं. सूर्य, जो अनुमानतः लगभग 4.6 अरब वर्ष पुराना है, सर्वप्रथम हीलियम और हाइड्रोजन से बने आणविक बादल से बना था. पहले वैज्ञानिकों का अनुमान था कि सूर्य अपने अंतिम चरण में एक ग्रहीय नेबुला यानी गैस और ब्रह्मांडीय धूल का चमकदार बादल बन जाएगा. मैनचेस्टर विश्वविद्यालय की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, सूर्य धीरे-धीरे सिकुड़कर अंत में सफेद बौने तारे में परिवर्तित हो जाएगा. 

अब नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित ताज़ा अध्ययन के अनुसार, सूर्य का अस्तित्व लगभग 10 अरब वर्षों में समाप्त हो जाएगा. यह निष्कर्ष 2018 के उस अध्ययन से अलग है, जिसमें कहा गया था कि सूर्य आने वाले लगभग 5 अरब वर्षों में फैलकर एक लाल दानव तारा (Red Giant) बनेगा, न कि सफेद बौना.

नासा ने भी इस पर एक अध्ययन किया है उसमें कहा गया है कि लाल रूपी आकार में बदल जाने के बाद सूर्य की बाहरी परतें इतनी फैल जाएंगी कि वे मंगल की कक्षा पर पहुंच जाएंगी और साथ ही पास के ग्रहों को पिघलाकर निगल जाएंगी, यदि तब तक धरती का अस्तित्व रहा तो, इस घटना को पूरे होने में करीब 10 अरब वर्ष लगेंगे.

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