Home > अजब गजब न्यूज > क्या आपने कही देखी है अनोखी प्रजाति की महिलाएं, जो सिर्फ जीवन में एक बार नहाती है

क्या आपने कही देखी है अनोखी प्रजाति की महिलाएं, जो सिर्फ जीवन में एक बार नहाती है

यह जनजाति अपनी अनूठी परंपराओं (Unique Traditions)की वजह से दुनियाभर में जानी जाती है. यह जनजाति (Tribe) आज भी आधुनिकता (Modernity) से दूर है और अपनी सालों पुरानी जीवनशैली का पालन करती आ रही है.

By: DARSHNA DEEP | Published: September 18, 2025 3:27:58 PM IST



Himba Tribe: वैसे तो दुनियाभर में विभिन्न तरह के कई प्रजाति हैं, लेकिन क्या आपने ऐसी प्रजाति के बारे में सुना है जो अपने पूरे जीवन में सिर्फ एक ही बार नहाती है. जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना. इस प्रजाति की महिलाएं केवल एक ही बार नहाती है. ये प्रजाति और कोई नहीं बल्कि हिंबा प्रजाति है. 

हिंबा जनजाति: अनोखी परंपराओं वाला घर

अफ्रीका महाद्वीप (African Continent) का एक देश है नामीबिया, जहां हिंबा (Himba) नामक एक विशेष जनजाति (Tribe) निवास करती है. यह जनजाति अपनी प्राचीन जीवनशैली (Lifestyle) के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है. और आज भी, ये लोग आधुनिकता (Modernity) से दूर, अपनी सदियों पुरानी परंपराओं का सख्ती से पालन कर रहे हैं. करीब 50 हजार की आबादी वाली यह खानाबदोश जनजाति (Nomadi Tribe), को रेगिस्तान (Dessert) के कठोर मौसम में रहने की आदत लग चुकी है. 

अनोखे रीति-रिवाज और मान्यताएं

हिंबा जनजाति के कई रीति-रिवाज (Custom and Tradition) बेहद ही चौंकाने वाले हैं तो, आइए जानते हैं इनके अनोखे रीति-रिवाज के साथ-साथ मानने वाले मान्यताओं (Beliefs) के बारे में. 

नहाना और साफ-सफाई

इस जनजाति की महिलाओं के लिए नहाना सख्त मना है. वे अपने जीवन में सिर्फ एक बार, शादी के दिन ही स्नान करती हैं. कपड़ों को धोने के लिए भी पानी का उपयोग नहीं करना पड़ता है. 

साफ-सफाई का तरीका

नहाने की पाबंदी के बाद भी महिलाएं अपनी साफ-सफाई का खास ख्याल रखती हैं. अपने शरीर को साफ रखने के लिए जड़ी-बूटियों (Herbs) को पानी में उबालकर उसकी भाप का इस्तेमाल करती हैं, ऐसा करने से उनके शरीर से दुर्गंध नहीं आती है. 

हिंबा समुदाय में मवेशी का महत्व

हिंबा समुदाय (Himba Tribe) में मवेशियों (Cattle) को बहुत सम्मान दिया जाता है, खास तौर से गायों को. जिस व्यक्ति के पास गाय नहीं होती, उसे समाज में सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता है. 

हिंबा समुदाय में जन्म की अनोखी कहानी

हिंबा जनजाति में बच्चे के जन्म की तारीख तब से नहीं मानी जाती, जब वह पैदा होता है, बल्कि तब से मानी जाती है जब उसकी मां उसके बारे में सोचना शुरू करती है. 
हिंबा जनजाति की ये अनोखी परंपराएं हमें बताती हैं कि दुनिया में कितने तरह के विभिन्न प्रकार के संस्कृतियां मौजूद है. ये लोग आज भी अपने प्राचीन जीवन मूल्यों को बनाए हुए हैं, जो उन्हें अन्य समाजों से बेहद ही अलग बनाता है.

Advertisement