Heavy Rainfall is now come to an end: देश में झमाझम बारिश का दौर अब खत्म होने की कगार पर है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की घोषणा के अनुसार, देश के कुछ हिस्सों से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून (Monsoon) ने अपनी वापसी शुरू कर दी है. यह एक महत्वपूर्ण मौसम संबंधी घटना है, जो इस साल तय समय से पहले हो रही है. जानकारी के मुताबिक रविवार को, मॉनसून ने पश्चिमी राजस्थान के कुछ हिस्सों से अपनी वापसी का सफर शुरू कर दिया, जो कि आमतौर पर 17 सितंबर के आसपास होता है. साल 2015 के बाद यह पहला मौका है जब मॉनसून अपनी सामान्य तारीख से इतनी जल्दी वापस लौट रहा है.
2015 के बाद मॉनसून की सबसे जल्दी वापसी
मॉनसून की यह वापसी साल 2015 के बाद सबसे जल्दी हुई है, जब वापसी का दौर 4 सितंबर को शुरू हो गया था. यह अपने आप में मॉनसून के व्यवहार में आ रहे बदलावों को दर्शाता है. लेकिन, साल 2020 के बाद से लागू हुई नई व्यवस्था के तहत, 1971-2019 के आंकड़ों के आधार पर यह सामान्य तिथि 17 सितंबर के रूप में संशोधित (Modified) की गई थी. इस नए मानदंड (Criteria) के बावजूद, इस साल की वापसी तय समय से पहले हुई है. क्षेत्रीय स्तर पर, मॉनसून की वापसी अलग-अलग होती है. लेकिन दिल्ली के लिए मॉनसून की सामान्य वापसी की तारीख 25 सितंबर है. वहीं, दक्षिण भारत में मॉनसून की अंतिम वापसी की तारीख 15 अक्टूबर में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं हुआ है.
किसान पर असर: अच्छी बुवाई का साल
मॉनसून की समय पर शुरुआत और अच्छी बारिश का सबसे बड़ा फायदा कृषि क्षेत्र को मिला है. इस साल, मॉनसून के जल्दी आगमन ने किसानों को खरीफ (गर्मी) की फसलों की बुवाई समय से पहले शुरू करने में मदद की. देश के अधिकांश हिस्सों में हुई अच्छी बारिश ने इस साल कुल खरीफ फसल का रकबा बढ़ाकर 1,105 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा दिया है. हालांकि, मॉनसून की वापसी का सवाल भी महत्वपूर्ण है. सिर्फ तीन दिन पहले बारिश वापस लेने से कुल रकबे (Acreage) पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि देश में खरीफ (Kharif) फसलों की बुवाई पहले ही पूरी हो चुकी है. इसका मतलब है कि किसान अपनी फसल को बिना किसी बाधा के तैयार कर पाएंगे.
कहीं भारी बारिश तो कहीं कम
जहां एक तरफ देश के कुछ हिस्सों से मॉनसून लौट रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ राज्य में अभी भी लोगों को तेज बारिश का सामना करना पड़ रहा है. IMD ने पूर्वोत्तर राज्यों और महाराष्ट्र में अगले तीन दिनों तक भारी बारिश अनुमान लगाया है. पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर, जहां कुल मिलाकर लगभग 20 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई है, देश के बाकी हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है.
मॉनसून का यह व्यवहार जलवायु परिवर्तन के बदलते पैटर्न को भी दर्शाता है. अचानक बारिश की कमी या अधिकता, और मॉनसून के आने-जाने के समय में बदलाव अब एक सामान्य घटना होती जा रही है. ऐसे में, मौसम विभाग द्वारा जारी की गई सटीक और समय पर जानकारी कृषि क्षेत्र और जल प्रबंधन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है, ताकि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.